राम मंदिर में सोने का दरवाजा! सामने आई पहली तस्वीर, आप भी देखें
Ramlala Pran Pratishtha: राम मंदिर में सोना मढ़ा हुआ यह पहला दरवाजा सोमवार (8 जनवरी) को दोपहर 3:22 बजे लगाया गया था. जानकारी के मुताबिक, अगले तीन दिनों में ऐसे 13 और दरवाजे लगेंगे. सारे दरवाजे इस हफ्ते लग जाएंगे.
राम मंदिर में लगाए जाने वाले और दरवाजे.
राम मंदिर के निर्माण के लिए जिम्मेदार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर की कई विशेषताएं हैं.
मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) और प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा. मंदिर में 5 मंडप होंगे. इनमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप शामिल हैं. खंभों और दीवारों में देवी देवता औक देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं.
राम मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट रहेगी. मंदिर तीन मंजिला रहेगा. प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी. मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे.
मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा. दिव्यांगजन और वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प और लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी. मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा. चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट होगी.
मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा. मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे.
परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा. उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा.
दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है और वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है.
मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा. धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है. मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है. इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है. मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है.
मंदिर का निर्माण पूरी तरह से भारतीय परंपरानुसार और स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है. पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70 फीसदी क्षेत्र सदा हरित रहेगा.
25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर और चिकित्सा की सुविधा रहेगी.