Army Day: आर्मी डे पर सेना ने दिखाई अपनी ताकत, रक्षा मंत्री और सीडीएस रहे मौजूद- देखें ये शानदार तस्वीरें
आर्मी डे के मौके पर आयोजित 'शौर्य संध्या' में भारतीय सेना ने अपनी ताकत का नमूना पेश किया. इस दौरान पहली बार भारतीय सेना ने अपने ऑपरेशन्ल डेमो में दिखाया कि किस तरह एक घर में आंतकियों के जरिए बंधक बनाए लोगों को छुड़ाया जाता है. इसके लिए स्वदेशी डब्ल्यूएसआई-अटैक हेलीकॉप्टर्स के जरिए पहले आतंकियों पर फायरिंग की गई और फिर कमांडोज़ ने एसटीआईई यानी स्मॉल टीम इन्सर्सन एंड एक्सट्रेक्शन के जरिए अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया.
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View In Appशौर्य संध्या को भारतीय सेना की आर्मी सर्विस कोर यानी एएससी सेंटर में आयोजित किया गया था. इस दौरान सैनिकों ने घोड़ों के जरिए टेंट-पैगिंग की कौशल का प्रदर्शन किया. टेंट-पैंगिंग एक प्राचीन कैवलरी-स्पोर्ट्स है जिसे सेनाएं दुश्मन सेना की छावनी में टेंट तबाह करने के लिए इस्तेमाल करती है. इसके अलावा घुड़सवारों के जरिए ही दुश्मन की छावनी पर हमला करने की ड्रिल भी दिखाई गई.
आर्मी डे हर साल 15 जनवरी को उस अवसर की याद में मनाया जाता है जब जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) केएम करियप्पा ने 1949 में जनरल सर फ्रांसिस रॉबर्ट रॉय बुचर से भारतीय सेना की कमान संभाली थी, जो सेना के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ थे.
इस दौरान सैनिकों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की सीमा और अंखण्डता की रक्षा करने के लिए भारतीय सेना की प्रशंसा की. राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत देश जिन चीजों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है उनमें से भारतीय सेना भी एक है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी और 2047 तक टॉप ईकोनॉमी बन जाएगी. राजनाथ सिंह ने रूस-यूक्रेन संघर्ष से सबक लेने का जिक्र करते हुए सेना से भविष्य के लिए तैयार रहने को कहा. उन्होंने सशस्त्र बलों से आह्वान किया कि वे अपनी क्षमताओं को बढ़ाएं और आने वाले दिनों में सभी प्रमुख सशस्त्र बल अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करेंगे.
राष्ट्रीय राजधानी के बाहर पहली बार आयोजित सेना दिवस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि न केवल समय के साथ सुरक्षा चुनौतियां विकसित हो रही हैं, बल्कि उस बदलाव की गति भी तेजी से बढ़ रही है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार का ध्यान हमेशा एक मजबूत और पुख्ता सुरक्षा तंत्र विकसित करने पर रहा है और अब यह देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उन्होंने सैन्य बलों की सराहना की और 1962, 1965, 1971, 1999 के युद्धों और गलवान व तवांग में हाल की झड़पों के दौरान उनकी बहादुरी को याद किया.
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