Ahmadiyya Muslims: अहमदिया मुस्लिम समुदाय को बाकी मुसलमान अपनाने को तैयार क्यों नहीं? क्या है विवाद
आंध्र प्रदेश के वक्फ बोर्ड ने साल 2012 में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें काजियों से कहा गया कि अहमदिया समुदाय के लोगों के निकाह न पढ़ाए जाएं क्योंकि ये समुदाय मुसलमान नहीं हैं.
अहमदिया समुदाय ने इसको लेकर हाईकोर्ट में चुनौती थी, जिसके बाद कोर्ट ने इस प्रस्ताव को स्थगित कर दिया था.
वहीं भारत के सुन्नी मुसलमानों के एक बड़े संगठन जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के प्रस्ताव का समर्थन किया.
संगठन ने एक बयान में कहा कि अहमदिया समुदाय इस मूल आस्था पर भरोसा नहीं रखते कि इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद आखिरी नबी थे.
बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बयान में इस्लामी संगठन वर्ल्ड मुस्लिम लीग की साल 1974 की एक मीटिंग का भी वर्णन किया गया जिसमें लीग के 110 देशों के मुस्लिम प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था.
मीटिंग में अहमदिया समुदाय को इस्लाम के दायरे से खारिज कर दिया गया था.
मिर्जा गुलाम अहमद नाम के एक शख्स ने साल 1889 में पंजाब के लुधियाना से एक बैठक बुलाई और अपने आपको खलीफा बताया. अहमदिया को कादियानी भी कहा जाता है.
अहमदिया समुदाय लोग काफी लिबरल होते हैं क्योंकि ये दूसरे धर्मों के संतों को पढ़ने पर जोर देते हैं. भारत में कुल अहमदिया मुसलमानों की तादाद 10 लाख है.