Booker Prize: हिंदी साहित्यकार गीतांजलि श्री के उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सेंड' को मिला बुकर पुरस्कार, जानें किन भारतीय लेखकों ने नाम दर्ज है ये उपलब्धि
हिंदी भारतीय साहित्य के लिए आज गौरवपूर्ण पल है. भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री को साल 2022 के अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. लेखिका गीतांजलि श्री अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली हिंदी लेखिका बन गई है. ऐसा पहली बार हुआ है कि हिंदी में पहली बार किसी को बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया हो. गीतांजलि श्री को उनके हिंदी उपन्यास 'रेत समाधि' के लिए ये सम्मान दिया गया है. बता दें कि 50 हजार पाउंड बतौर पुरस्कार अपने नाम करने वाली ये हिंदी का पहला उपन्यास है. गीतांजलि श्री द्वारा लिखा गया ये उपन्यास भारत के विभाजन की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जो अपने पति की मृत्यु के बाद एक बुजुर्ग महिला की कहानी को दर्शाता है. 'रेत समाधि' गीतांजलि श्री का पांचवा उपन्यास है. उनका पहला उपन्यास 'माई' है. इसके बाद उन्होंने 'हमारा शहस उस बरस', 'तिरोहित', 'खाली जगह' की रचना की.
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View In Appअरविंद अडिगा को उनके पहले उपन्यास 'द व्हाइट टाइगर' के लिए वर्ष 2008 में यह पुरस्कार मिला था. अरविंद अडिगा को उनके पहले उपन्यास द व्हाइट टाइगर के लिए वर्ष 2008 में यह पुरस्कार मिला. उपन्यास की कहानी उसके मुख्य पात्र बलराम हलवाई के आसपास घूमती है जो गरीबी से छुटकारा पाने का सपना देखता है और यह सपना उसे दिल्ली और बेंगलुरु की यात्रा करा देता है.
किरण देसाई को अपने दूसरे उपन्यास 'द इन्हेरिटेंस ऑफ लॉस' के लिए 2006 में बुकर पुरस्कार मिला था. किरण देसाई भारतीय मूल की जानी-मानी लेखिका अनीता देसाई की पुत्री हैं. किरण देसाई की पहली पुस्तक ‘हल्लाबलू इन द ग्वावा ऑर्चर्ड’ भी काफी चर्चित रही थी.
अरुंधती रॉय भारतीय लेखिका अरुंधती रॉय साहित्य जगत में एक बड़ा नाम है. बता दें कि अरुंधती रॉय ने साल 1997 में आई पुस्तक ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए बुकर्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उनकी ये रचना एक गैर प्रवासी भारतीय लेखक की सबसे अधिक अधिक बिकने वाली किताब थी. जिसके बाद अरुंधति रॉय लेखनी की दुनिया में एक बड़ा नाम बन गईं.
प्रसिद्ध ब्रिटिश भारतीय उपन्यासकार और निबंधकार सलमान रुश्दी को उनकी साल 1981 में सलमान रुश्दी को उनके उपन्यास ‘मिड नाईट चिल्ड्रन’ के लिए बुकर प्राइज से सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा सलमान रुश्दी को चार बार बुकर प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया है. वहीं उन्हें बुकर ऑफ बुकर्स’ और ‘बेस्ट ऑफ द बुकर’ के लिए सम्मानित किया गया है.
साहित्यकार वी.एस नायपॉल भारत में नहीं रहते हैं, लेकिन वह मूल रूप से भारतीय हैं. वी.एस.नायपॉल को साल 1971 में ‘इन अ फ्री स्टेट’ के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें एक बार दोबारा बुकर पुरस्कार के लिए ‘अ बैंड इन द रिवर’ के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था.
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