Panchamukhi Hanuman: जीवन में संकट से पाएं राहत और शक्ति,मंगलवार को करें पंचमुखी हनुमान की पूजा
हनुमानजी की पूजा सामान्य रूप से उनके एकमुखी स्वरूप में की जाती है, लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने पंचमुखी रूप धारण किया. यह स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य माना जाता है. मान्यता है कि जब मनुष्य चारों तरफ से घिर जाए, संकट से निकलने का कोई मार्ग न दिखे और जीवन में अंधकार बढ़ जाए, तब पंचमुखी हनुमानजी की शरण से मार्ग खुलने लगता है.
पंचमुखी हनुमानजी की पूजा विशेष रूप से तब की जाती है जब ग्रहों का प्रकोप बढ़ जाए या जीवन में लगातार बाधाएं आ रही हों. यह पूजा मारक ग्रहों के प्रभाव को शांत करती है और भय, रोग तथा झंझटों से मुक्ति देने वाली मानी जाती है. भक्त मानते हैं कि इस स्वरूप की उपासना से अदृश्य संकट भी समाप्त हो जाते हैं.
हनुमानजी के इस दिव्य रूप में पांच मुख हैं और प्रत्येक मुख का अपना अलग महत्व है. पूर्व दिशा में हनुमान मुख शक्ति और उत्साह देता है. उत्तर में वराह मुख सभी प्रकार के संकटों को दूर करता है. दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख सुरक्षा का प्रतीक है और भय को समाप्त करता है. पश्चिम में गरुड़ मुख संयम और नियंत्रण की शक्ति प्रदान करता है.
हनुमानजी ने यह स्वरूप रावण के युद्ध के समय धारण किया था. रावण और उसके मायावी सेनापतियों को परास्त करने के लिए हनुमानजी को कई दिव्य शक्तियों की आवश्यकता पड़ी. विशेष रूप से अहिरावण के वध के लिए यह पंचमुखी रूप अनिवार्य था. इस अद्भुत स्वरूप से हनुमानजी ने रावण की मायावी शक्तियों को नष्ट किया और विजय प्राप्त की.
इस स्वरूप की उपासना करने से जीवन के अनेक संकट शांत हो जाते हैं. भय, बाधाएँ, मानसिक तनाव, रोग, शत्रु बाधाएँ और ग्रहदोष सभी कम होने लगते हैं. माना जाता है कि पंचमुखी हनुमानजी भक्त के जीवन में स्थिरता और सफलता लाते हैं और उसे अदृश्य शक्तियों से रक्षा प्रदान करते हैं.
पंचमुखी हनुमानजी के मंत्र का जप उनकी कृपा पाने का सबसे प्रभावी तरीका माना गया है. भक्त सुबह और शाम शांत मन से मंत्र का उच्चारण करते हैं. नियमित जप मन को शक्ति, आत्मविश्वास और साहस देता है. यह अभ्यास व्यक्ति को अंदर से मजबूत बनाता है और उसके संकल्पों को दृढ़ करता है.
पंचमुखी हनुमानजी का पूजन मंदिरों में विशेष विधि से किया जाता है. इसमें फल, पुष्प, चंदन, धूप, दीप, लाल वस्त्र, रक्त चंदन, अक्षत, योग्य आसन और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. पूजा के दौरान भक्त मन और शरीर की शुद्धि बनाए रखते हैं. सही विधि से की गई उपासना संकटों को दूर करती है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार करती है.