Jamat-ul-wida 2023: रमजान में क्यों खास होता है अलविदा जुम्मा, जानें इस्लाम में जमात-उल-विदा का महत्व
जमात-उल-विदा या अलविदा जुम्मा का मतलब होता है, ‘जुमे की विदाई’. मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए रमजान का अलविदा जुम्मा बहुत खास होता है. अलविदा जुम्मे की नमाज को लेकर मस्जिदों में खास तैयारी होती है.
जमात-उल-विदा को लेकर ऐसी मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद साहब ने इस दिन अल्लाह की विशेष इबादत की थी. इसलिए रमजान के अन्य जुम्मे के दिनों से अलविदा जुम्मा को महत्वपूर्ण माना गया है.
माना जाता है कि अलविदा जुम्मा के दिन नेक दिल से अदा की गई नमाज से अल्लाह की रमहत और बरकत मिलती है. साथ ही पिछले गुनाह माफ हो जाते हैं.
इस्लाम धर्म में जुम्मे को लेकर मान्यता है कि अल्लाह तआला ने जुम्मे के दिन आदम अलैहिस्सलाम को पैदा किया. जुम्मे के दिन उन्हें आसमान से जमीन पर उतारा और जुम्मे के दिन ही उनकी वफात (मौत) भी हुई.
माहे रमजान का पाक महीना हमें मोहब्बत और अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने की सीख देता है. वहीं अलविदा जुम्मा या जमात-उल-विदा रमजान की रुकसती का प्रतीक होता है.
इस साल अलविदा जुम्मा 21 अप्रैल 2023 को है. अलविदा जुम्मा के दिन माहे रमजान का आखिरी 29 वां रोजा रखा जाएगा और शाम में लोग इफ्तार के बाद चांद का दीदार करेंगे. अगले दिन ईद-उल-फितर मनाई जाएगी.