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Hanuman Jayanti 2022: ब्रह्मचारी होने के बावजूद एक पिता है बजरंग बली, हनुमान जयंती पर जानें उनसे जुड़े 7 रहस्य

ABP Live   |  12 Apr 2022 06:57 AM (IST)
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चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाते हैं. देशभर में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. भगवान स्री विष्णु को राम अवतार के समय सहयोग करने के लिए रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म हुआ था.

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हनुमान जी का जन्म राम जी की भक्ति के लिए ही हुआ था. इस साल हनुमान जयंती 16 अप्रैल के दिन मनाई जाएगी. मान्यता है कि हनुमान जी अमर हैं. अंजनी पुत्र हनुमान जी के कुछ ऐसे रहस्य हैं जिन्हें बहुत कम लोग ही जानते हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही रहस्यों के बारे में हम लोग.

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धार्मिक मान्यता है कि पवनपुत्र हनुमान जी का जन्म कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के पास एक गांव में हुआ था. मान्यता है कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही वह जन्में थे. हनुमान जी के जन्म का उद्देश्य श्री राम का सहयोग करना था.

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हनुमान जी को भगवान इंद्र देव ने ये वरदान दिया था कि वे अपनी इच्छा से ही मृत्यु को प्राप्त हो सकते हैं. वहीं, भगवान श्री राम के वरदान के अनुसार युग का अंत होन पर ही हनुमान जी को मुक्ति प्राप्त होगी. वहीं, माता सीता के वरदान अनुसार वे चिरंजीवी रहेंगे. मां सीता के इसी वरदान के चलते द्वापर युग में भी हनुमान जी का उल्लेख मिलता है. इसमें वे भीम और अर्जुन की परीक्षा लेते दिखते हैं. कलियुग में उन्होंने तुलसीदास जी को दर्शन दिए. श्रीमद् भागवत में बताया गया है कि कलियुग में हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं.

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हनुमान जी को पवनपुत्र, अंजनी पुत्र, मारुतिनंदन, बजरंगबली, केसरीनंदन, संकटमोचन कई नामों से जाना जाता है. बता दें कि संस्कृत में हनुमान जी 108 नाम है. इनके हर एक नाम में जीवन का एक साल छिपा है. इसलिए हनुमान जी के ये 108 नाम बहुत प्रभावशाली हैं.

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हनुमान जी का परिचय हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान बहुक आदि से मिलता है. लेकिन इन सबसे पहले हनुमान जी आराधना विभीषण ने उनकी शरण में आकर हनुमान स्तुति की थी.

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प्रभु राम भक्त हनुमान जी को लेकर मान्यता है कि वे ब्रह्मचारी हैं. लेकिन ब्रह्मचारी होने के बाद भी वे एक पुत्र के पिता थे. पौराणिक कथा के अनुसार माता सीता को खोजने लंका की ओर जाते समय उनका एक राक्षस से युद्ध हुआ था. उसे हराने के बाद वे थक गए और उनकी पसीने की बूंद को मगरमच्छ ने निगल लिया, जिसके बाद मकध्वज नाम का एक पुत्र उत्पन्न हुआ.

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धार्मिक मान्यता है राम भक्त हनुमान जी मां दुर्गा के भी सेवक हैं. माता के आगे-आगे हनुमान जी चलते हैं और पीछे-पीछे भैरव जी. देश में जितने भी मंदिर है वहां आसपास हनुमान जी और भैरव जी का मंदिर जरूर होता है.

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