Kharna 2025: छठ पूजा का दूसरा दिन ‘खरना’ क्यों माना जाता है सबसे पवित्र और कठिन व्रत का दिन
हिंदू धर्म में चार दिवसीय पर्व छठ में खरना का खास महत्व है. यह छठ पूजा का दुसरा दिन होता है. इस दिन व्रती महिलाएं दिनभर उपवास रखती हैं और सायंकाल पूजा के बाद नैवेद्य ग्रहण कर अपना वर्त खोलती है
खरना शब्द का अर्थ है शुद्धता और पवित्रता. दरअसल पूरी छठ पूजा ही शुद्धता और पवित्रता के पालन का व्रत है. इसलिए व्रत करने वाली वर्ती को स्वच्छता और पवित्रता का खास ध्यान रखना होता है, ताकि व्रत में किसी तरह की बाधा न आए.
र्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरना कार्तिक माह के पंचमी तिथि को नहाय खाय के बाद आता है. खरना के दिन व्रती महिलाएं शाम को गुड़ की खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करके 36 घंटे से अधिक का कठिन निर्जला व्रत रखती हैं.
यह दिन विशेष रूप से आस्था भक्ति, और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि यह व्रत छठ मैया और सूर्य भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है.
खरना वह दिन है जब वर्ती महिलाएं सूर्यदेव और छठी मैया के सम्मान में अपने तन-मन को शुद्ध करने के लिए कठोर उपवास रखती हैं. इसमें वर्ती महिलाएं भक्ति की अभिव्यक्ति के रूप में जल और अन्न का त्याग करती हैं और कुछ भी ग्रहण नहीं करती.
पारंपरिक रूप से इस दिन प्रसाद के रूप में गुरु की खीर बनाई जाती है. इसे आमतौर पर नए चूल्हे पर बनाई जाती है. प्रसाद ग्रहण करने से पहले, इसे छठी मैया और सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है. जिससे स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार के कल्याण का आशीर्वाद प्राप्त होता है.