असली दूध और नकली दूध में क्या होता है अंतर? इस देसी तरीके से चुटकियों में कर सकते हैं पहचान
आजकल दूध बाजार में सबसे ज्यादा मिलावट वाला खाद्य पदार्थ माना जाता है. विक्रेता अक्सर दूध में पानी मिलाकर उसका वॉल्यूम बढ़ा देते हैं, जिससे उसका स्वाद और मावा की क्वालिटी दोनों खराब हो जाते हैं. कई बार तो नकली दूध बनाने के लिए स्टार्च और केमिकल का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक है.
दूध की शुद्धता जांचने के लिए मशीन और घरेलू दोनों तरीके मौजूद हैं. दूध व्यवसाय से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि फैटोमीटर मशीन से दूध की जांच की जा सकती है. यह मशीन महंगी जरूर होती है (लगभग 50-60 हजार रुपये की), लेकिन महज 25-30 सेकंड में दूध का फैट, एसएनएफ, प्रोटीन और मावा कंटेंट बता देती है.
उदाहरण के लिए, भैंस के दूध में फैट 6 से 8.5 प्रतिशत के बीच होना चाहिए. अगर फैट और एसएनएफ का बैलेंस सही है तो दूध शुद्ध माना जाता है. वहीं, अगर एक लीटर दूध से 200 ग्राम से भी कम मावा निकलता है तो समझ लीजिए दूध में मिलावट है.
घर पर भी दूध की शुद्धता जांचने के आसान उपाय मौजूद हैं. जैसे एक लीटर दूध से 200 से 320 ग्राम तक मावा मिलना चाहिए. अगर इससे कम निकलता है तो दूध में मिलावट पक्की है. इसके अलावा, दूध उबालने पर मोटी मलाई बनती है, लेकिन अगर मलाई पतली हो या न बने तो समझ लें दूध में पानी मिला हुआ है.
शुद्ध दूध को गर्म करने पर वह बर्तन या फॉइल पर चिपक जाता है, जबकि नकली दूध ऐसा नहीं करता. असली दूध का स्वाद मीठा और प्राकृतिक होता है, जबकि मिलावटी दूध का स्वाद फीका और बेस्वाद लगता है.
नकली दूध पहचानने के लिए रंग और स्वाद पर भी ध्यान देना जरूरी है. शुद्ध दूध चमकदार सफेद होता है, जबकि नकली दूध हल्का पीला या भूरा दिखता है. असली दूध धीरे-धीरे खराब होता है, लेकिन नकली दूध जल्दी फट जाता है, चाहे उसे उबाल ही क्यों न दिया जाए.
दिवाली और दुर्गापूजा जैसे बड़े त्योहारों में मिठाइयों और व्यंजनों का असली स्वाद तभी आएगा जब दूध शुद्ध हो. इसलिए जागरूक रहना और घरेलू तरीकों से दूध की जांच करना जरूरी है. थोड़ी सावधानी आपके परिवार की सेहत और त्योहार की मिठास दोनों को सुरक्षित रख सकती है.