यूरिन से पता चलेगी शरीर की असली उम्र, वैज्ञानिकों ने खोजी नई 'एजिंग क्लॉक'
इस तकनीक के माध्यम से वैज्ञानिक आपके यूरिन में मौजूद microRNA नाम के बेहद छोटे जैविक संकेतों की जांच करते हैं. ये microRNA extracellular vesicles नाम की छोटी-छोटी सुरक्षा परतों में मौजूद रहते हैं. यही संकेत हमारे शरीर में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया से जुड़े होते हैं.
वैज्ञानिकों ने इस स्टडी को NPJ Aging नाम की एक रिसर्च जर्नल में प्रकाशित किया है. इस शोध के तहत जापान में 6,000 से ज्यादा लोगों के यूरिन सैंपल लिए गए और आधुनिक मशीनों की मदद से उनकी जांच की गई.
इस जांच से लोगों की उम्र को लगभग 4 से 5 साल के अंतर के साथ सही-सही बताया जा सका. अगर शरीर की उम्र असली उम्र से ज्यादा निकलती है, तो इसका मतलब है कि शरीर सामान्य से तेज़ी से बूढ़ा हो रहा है.
शोध में यह भी सामने आया कि अगर किसी व्यक्ति की बायोलॉजिकल उम्र उसकी असली उम्र से ज्यादा है, तो उस व्यक्ति में बीमारियों और जल्दी मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है.
इस तरीके से डॉक्टरों को यह समझने में मदद मिलेगी कि किस मरीज को ज्यादा खतरा है. अगर बायोलॉजिकल उम्र पहले ही ज्यादा पाई जाए, तो समय रहते इलाज और सावधानी संभव हो सकती है.
वैज्ञानिकों को इस शोध में ऐसे 20 microRNA मिले हैं, जो बायोलॉजिकल उम्र जानने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं, क्योंकि इनमें से कुछ microRNA की मात्रा उम्र के साथ बदलती रहती है.
खून की जांच लंबी और दर्दनाक होती है, जबकि पेशाब की जांच आसान, सस्ती और जल्दी हो जाती है. पेशाब में मौजूद vesicles पूरे शरीर से जुड़ी जानकारी देती हैं. यह तरीका DNA methylation जितना गोल्ड स्टैंडर्ड नहीं है, लेकिन कई ब्लड टेस्ट से बेहतर साबित हुआ है.