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MRI टेस्ट कराते वक्त क्यों हो जाती है मौत, जानें जांच कराते समय कैसे बचाएं जान?

सोनम   |  23 Jul 2025 06:48 AM (IST)
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एमआरआई या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों की डिटेल्ड इमेज निकालकर उस हिस्से में मौजूद बीमारी का पता लगाती है. कई बार हमारी बॉडी की बीमारी का सिंपल तरीके से पता लगाना डॉक्टर्स के लिए मुश्किल हो जाता है. ऐसे में सीटी स्कैन के जरिए भी बीमारी का ठीक से पता नहीं चल पाता.

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सीटी स्कैन की तुलना में एमआरआई स्कैन शरीर के इन हिस्सों की बेहतर और डिटेल्ड पिक्चर निकालने की कैपेसिटी रखता है. इसके अलावा इसमें किसी तरह के रेडिएशन का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जो बॉडी को नुकसान पहुंचाते हैं. यही वजह है कि डॉक्टर्स एमआरआई स्कैन कराने की सलाह देते हैं.

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एमआरआई स्कैन एक पावरफुल मेडिकल इमेजिंग टेक्नीक है, जो बॉडी की डिटेल्ड इमेज बनाने के लिए मैग्नेटिक फील्ड का इस्तेमाल करती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मशीन का मैग्नेटिक फील्ड पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड से 30 हजार गुना ज्यादा पावरफुल होता है. यह रूम में मौजूद किसी भी मेटल की चीज को अपनी ओर तेज़ी से खींचने की कैपेसिटी रखता है.

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एमआरआई मशीन रूम में रखी व्हीलचेयर या लोहे की अलमारी तक को अपनी ओर खींच सकती है, जिससे ये पेशेंट या उनके साथ आए लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. इससे हमेशा आग लगने या किसी और तरह के हादसे का खतरा बना रहता है.

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हॉस्पिटल में एमआरआई स्कैन से पहले किसी भी पेशेंट की हेल्थ और मेडिकल इन्फॉर्मेशन मांगी जाती है, ताकि मेडिकल टीम ये पता कर सके कि स्कैन करना सेफ है या नहीं. इसके अलावा पेशेंट की परमिशन ली जाती है. स्कैनर के पावरफुल मैग्नेटिक फील्ड के कारण पेशेंट के शरीर पर या भीतर कोई मेटल ऑब्जेक्ट नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे जान का खतरा रहता है.

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यदि किसी व्यक्ति के शरीर में पेसमेकर, मेटल वाले नकली दांत, सुनने की मशीन या ऐसे ही दूसरे इम्प्लांट्स हों तो उनका एमआरआई नहीं किया जा सकता. इसके अलावा घड़ी, ज्वेलरी या कोई भी मेटल ऑब्जेक्ट रूम के अंदर ले जाने की परमिशन नहीं होती.

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इसके अलावा जो लोग बंद जगह से डरते हैं, उनके लिए भी ये मशीन खतरनाक हो सकती है, क्योंकि स्कैनिंग में कई बार लंबा टाइम लगता है. ऐसे में उन्हें पैनिक अटैक आ सकता है. प्रेग्नेंसी में डॉक्टर्स इससे बचने की सलाह देते हैं. एमआरआई मशीन की एक और कमी ये है कि स्कैनिंग के दौरान इससे बहुत तेज आवाज आती है. यह आवाज 100 से 120 डेसिबल तक जा सकती है, जो कानों के लिए नुकसानदायक हो सकती है.

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