जेनेटिक टेस्टिंग क्या है? IVF में इसे क्यों करवाना जरूरी है?
स्वस्थ भ्रूण चुनना: जेनेटिक टेस्टिंग से हमें यह पता चलता है कि भ्रूण में कोई बीमारी या विकार तो नहीं है. इससे हमें स्वस्थ भ्रूण चुनने में मदद मिलती है.
बीमारियों का पता लगाना: अगर परिवार में कोई अनुवांशिक बीमारी है, तो जेनेटिक टेस्टिंग से यह पता चल जाता है कि भ्रूण में वह बीमारी है या नहीं.
गर्भपात के खतरे को कम करना: कुछ बीमारियों के कारण गर्भपात हो सकता है. जेनेटिक टेस्टिंग से इन बीमारियों का पहले ही पता चल जाता है और गर्भपात के खतरे को कम किया जा सकता है.
माता-पिता की चिंता कम करना: जब माता-पिता को पता होता है कि उनका बच्चा स्वस्थ है, तो उनकी चिंता कम हो जाती है. इससे गर्भावस्था के दौरान उन्हें मानसिक शांति मिलती है.
कैसे होता है जेनेटिक टेस्टिंग? : IVF प्रक्रिया के दौरान, जब भ्रूण बनता है, तो उसकी कुछ कोशिकाओं की जांच की जाती है. इस जांच को प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT) कहते हैं.