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बच्चे पैदा करने से जल्दी बूढ़े नहीं होंगे आप, स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

एबीपी लाइव   |  11 Mar 2025 06:10 PM (IST)
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गर्भावस्था बायोलॉजिकल उम्र बढ़ने में तेजी ला सकती है, शोध से पता चलता है कि प्रसव पीड़ा के बाद इसका सीधा उलटा असर होता है. सेल मेटाबॉलिज्म और नेचर [1, 2, 3, 5, 6, 7] में पब्लिश रिसर्च के अनुसार, ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं में यह बड़ी ही तेजी से दिखाई देता है.

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गर्भावस्था और बायोलॉजिकल उम्र में कनेक्शन: एपिजेनेटिक घड़ियों (जो डीएनए मिथाइलेशन पैटर्न के आधार पर जैविक उम्र को मापती हैं) का उपयोग करने वाले अध्ययनों से पता चला है कि गर्भावस्था जैविक उम्र को बढ़ा सकती है. एक अध्ययन में पाया गया कि गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों के दौरान आनुवंशिक बायोमार्कर लगभग एक से दो साल तक बढ़ गए. एक अन्य अध्ययन से पता चला कि गर्भावस्था ने जैविक उम्र को एक से दो साल तक बढ़ा दिया. इस रिसर्च में पाया गया कि माता- पिता इतने ज्यादा स्ट्रेस और तनाव में होते हैं कि वह बच्चे को उतना ज्यादा महत्व नहीं देते हैं. जितना उन्हें देना चाहिए. माता-पिता बनने से जुड़े अधिकांश अध्ययनों में पिता को शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि वे शारीरिक रूप से गर्भधारण नहीं करते. बच्चे को जन्म नहीं देते या स्तनपान नहीं कराते. लेकिन अध्ययन में 17,000 से अधिक पुरुषों की भागीदारी देखी गई. निष्कर्षों से पता चला कि गर्भावस्था में सक्रिय भागीदारी न होने के बावजूद बच्चे के जन्म और उनके पालन-पोषण ने उनके मस्तिष्क के स्वास्थ्य को गहराई से प्रभावित किया.

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हालांकि, बायोलॉजिकल उम्र बढ़ने पर गर्भावस्था के प्रभाव प्रसव के बाद उलटे प्रतीत होते हैं. जन्म देने के तीन महीने बाद एकत्र किए गए रक्त के नमूनों से पता चला कि जैविक उम्र गर्भावस्था के शुरुआती दिनों की तुलना में कम दिखाई दे रही थी. नेचर ने रिपोर्ट किया [2, 6] कि प्रसव के तीन महीने बाद उम्र बढ़ने की गति 16% कम हो गई.

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ब्रेस्टफीडिंग: जिन महिलाओं ने विशेष रूप से स्तनपान कराया, उनमें बायोलॉजिकल आयु में उन महिलाओं की तुलना में अधिक कमी देखी गई. जिन्होंने फॉर्मूला या फॉर्मूला और स्तन के दूध के मिश्रण का उपयोग किया.

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गर्भावस्था से पहले जिन लोगों का शारीरिक वजन अधिक था. उनमें यह प्रभाव थोड़ा कम दिखाई दिया. वहीं जिनका वजन कम था उनपर इसका असर काफी ज्यादा दिखाई दिया.

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प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के हार्मोनल चेंजेज होते हैं. इसके कारण किसी का वजन हद से ज्यादा बढ़ भी सकता है. तो वहीं किसी का घट भी सकता है.

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