डायबिटीज मरीज भी नवरात्रि में रख सकते हैं व्रत, ऐसे मेंटेन कर पाएंगे इंसुलिन का लेवल
'यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया' के मुताबिक 'मेटाबॉलिक सिंड्रोम' वाले मरीजों को उपवास करने से काफी ज्यादा फायदा मिलता है, अब सवाल यह उठता है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम क्या है? दरअसल, मेटाबॉलिक सिंड्रोम उसे कहते हैं जिसमें खराब खानपान और लाइफस्टाइल के कारण शरीर में ब्लड का शुगर लेवल, बीपी और कोलेस्ट्रॉल इंबैलेंस हो जाता है. यह डायबिटीज और दिल की बीमारी का भी कारण बनती है.
फास्टिंग करने से दवा और अच्छे से काम करती है. 17 घंटे भूखे रहने के कार ग्लूकोज का लेवल एकदम सही रहता है. पेट जितना खाली रहेगा पैंक्रियाज उतना ही एक्टिव रहता है. साथ ही इससे ब्लड शुगर कम होने में मदद मिलती है. लिवर, मसल्स और ब्लड अच्छे से काम करता है.
अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और आपका अगर शुगर लेवल लो रहता है तो उपवास के दौरान ग्लूकोज लेवल और कम हो सकता है. इसके कारण पसीना भी आ सकता है. इसमें हाथ-पैर कांपने लगते हैं. और कमजोरी महसूस होने लगती है.
जब भी डायबिटीज मरीज उपवास रखें तो कुछ खास बातों का खास ख्याल रखें . जैसे- उपवास के दौरान आपको मतली, ठीक से दिखाई न देना, वजन घटना, घाव न भरना, ज्यादा यूरिन निकलना यह बीमारी के लक्षण हो सकते हैं. इससे आपको समझ जाना है कि आपको व्रत नहीं करना है.
डायबिटीज मरीज हैं तो आपको उपवास के दौरान खानेपीने का खास ख्याल रखना चाहिए. इसके लिए आपको भरपूर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन, साबूदाना आदि खाना है इससे शरीर में कमजोरी नहीं होती है.