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देश के लगभग 88% लोग हैं एंग्जायटी के शिकार, अगर आप भी हैं उनमें से एक तो करें ये काम

कोमल पांडे   |  16 Oct 2024 01:55 PM (IST)
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काम का तनाव या घर-परिवार में चल रही परेशानी को लेकर बहुत ज्यादा चिंता और ओवरथिंकिंग मेंटली और फिजिकली बीमार बना सकता है. इसकी वजह से एंग्जाइटी जैसी समस्या भी हो सकती है. यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है, जो नींद को प्रभावित कर सकता है, मांसपेशियों में तनाव, पाचन की समस्याएं, चिड़चिड़ापन, फोकस करने में दिक्कतें और पैनिक अटैक को बढ़ा सकता है.

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एक स्टडी में पता चला है कि देश में करीब 88% लोग ऐसे हैं, जो किसी न किसी तरह के एंग्जायटी (Anxiety) की चपेट में हैं. मतलब हर 100 में से 88 लोग इस मेंटल डिसऑर्डर का शिकार हैं. इससे बचने के लिए 3-3-3 रूल (3 3 3 Rule For Anxiety) अपना सकते हैं.

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इस नियम में आपको अपने दिमाग में कुछ चीजों को लाकर उन पर काम करना है और होने वाले बदलावों को देखना है. इसके लिए देखने, सुनने और करने जैसी तीन बातों पर पूरी तरह फोकस होना पड़ता है. इसका फायदा दिमाग को काफी ज्यादा होता है और एंग्जाइटी की समस्या से बचने में मदद मिलती है.

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एंग्जायटी में होने पर खुद पर कंट्रोल नहीं रहता है, ऐसे में खुद को वहीं रोककर चारों तरफ देखना चाहिए. अपनी आंखों और अपने आसपास नजर वाली चीजों पर ध्यान दें, फिर उन तीन चीजों के बारें में बताइए, जिन्हें आप आसपास देख सकते हैं.

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अपने आसपास से आने वाली 3 आवाजों को सुनकर उन्हें पहचानने की कोशिश करें. तीनों आवाजों की एक-एक बारीकी पर फोकस करें. तीनों पर सही तरह ध्यान देने के बाद बोले कि आपने क्या-क्या सुना.

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अब खुद में स्पर्श की भावना लाएं. तीन चीजों को छूकर देखें और फिर अपने शरीर के तीन अंगों को हिलाएं. सबसे पहले अपनी उंगलियों को चलाएं, पैर की उंगलियों को घुमाकर सिर को एक से दूसरी तरफ ले जाएं.

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एंग्जाइटी से बचने के लिए 3-3-3 रूल से मन पूरी तरह बदल सकता है. चिंता में रहने पर भी फोकस नहीं बदलता है. जिन बातों को सोच-सोचकर मन दुखी होता है, मन भटकता है, उससे बच सकते हैं और एंग्जाइटी दूर होकर बेहतर महसूस करते हैं. इस नियम को फॉलो करने से इमोशनल तौर पर काफी अच्छा फील होता है. इससे मन पर कंट्रोल बढ़ता है, शांति महसूस होती है और दुख कम होता है. इससे कुछ देर में अपनी समस्या से बाहर आ सकते हैं.

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