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Slow Running: ब्रिस्क वाकिंग और जॉगिंग के फायदे तो आपने सुने होंगे, अब जान लीजिए स्लो रनिंग के बेनिफिट्स, ये है सही तरीका

कोमल पांडे   |  23 May 2024 04:53 PM (IST)
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फिटनेस को लेकर लोग जागरूक हो रहे हैं. वॉकिंग, रनिंग, जॉगिंग या जिम में वर्कआउट जैसी एक्टिविटीज से खुद को फिट बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT) और फास्ट रनिंग की ओर ज्यादातर लोग अटैक्ट हो रहे हैं लेकिन सवाल कि क्या धीरे-धीरे चलना भी फायदेमंद है.

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क्या स्लो रनिंग या इंटेंसिटी वाले एक्सरसाइज, कार्डियो फिट रहने में किसी तरह की मदद करता है. आइए जानते हैं...

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धीमी गति से दौड़ना लो इंटेसिटी (LISS) वाला कार्डियो माना जाता है. लंबे समय तक स्लो रनिंग करने से दिल की धड़कनें तो ज्यादा नहीं बढ़ती हैं लेकिन इसके अपने फायदे हैं. इसमें ऐसी स्पीड बनाए रखना पड़ता है, जिसमें सांस भी न फूले और बातचीत कर सकें. यह दौड़ने का ज्यादा आरामदायक तरीका है. इससे फोकस बढ़ता है. स्लो स्पीड से दौड़ने से स्प्रिंटिंग की तरह एड्रेनालाइन रश नहीं मिलता लेकिन इसके कई फायदे हैं.

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स्लो रनिंग से एरोबिक फिटनेस में सुधार होता है. जर्नल ऑफ स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग रिसर्च में पब्लिश एक स्टडी में पाया गया कि LISS कार्डियो, धीमी गति से चलने से एरोबिक फिटनेस में सुधार करता है. इससे कई लाभ हो सकते हैं.

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हाई-इंटेंसिटी वाले वर्कआउट के उलट धीमी गति से दौड़ने से जोड़ों पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है. इससे चोट लगने का जोखिम भी कम होता है. जर्नल ऑफ ऑर्थोपेडिक एंड स्पोर्ट्स फिजिकल थेरेपी में पब्लिश रिसर्च के अनुसार, धीरे-धीरे दौड़ने से ज्यादाा तनाव बिना जोड़ों और मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं.

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वीकली वर्कआउट रूटीन में एक या दो छोटे-छोटे समय के लिए धीमी गति से दौड़ लगाएं. फिटनेस में सुधार के साथ अपनी रनिंग टाइमिंग धीरे-धीरे बढ़ाएं. 2. एक कंप्लीट वर्कआउट रूटीन बनाने के लिए स्लो रनिंग के साथ अन्य एक्सरसाइज भी करें. 3. स्लो रनिंग की प्रैक्टिस कितनी बार करते हैं, यह पूरी तरह आपकी फिटनेस पर निर्भर करता है.

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