Chronic Insomnia Risk: आपको भी कम आती है नींद तो 40 पर्सेंट ज्यादा हो सकता है डिमेंशिया का खतरा, रिसर्च में सामने आया डराने वाला सच
अनुमान है कि दुनिया की लगभग 16 प्रतिशत आबादी अनिद्रा यानी इंसोमनिया से जूझ रही है. इसमें से कई लोग लंबे समय से नींद की समस्या झेलते हैं, जिसे क्रॉनिक इंसोमनिया कहा जाता है.
अमेरिका की Mayo Clinic के वैज्ञानिकों ने इस पर स्टडी की. उन्होंने 2,750 बुजुर्गों पर रिसर्च की जिनकी औसत उम्र 70 साल थी. इनमें से 16 प्रतिशत लोगों को क्रॉनिक इंसोमनिया था.
इन लोगों को औसतन 5.6 साल तक ट्रैक किया गया. इस दौरान उनकी नींद की आदतें, याददाश्त और सोचने की क्षमता की जांच हुई. साथ ही ब्रेन स्कैन भी किए गए.
स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों को क्रॉनिक इंसोमनिया था, उनमें डिमेंशिया या हल्की मेमोरी लॉस (MCI) का खतरा 40 प्रतिशत ज्यादा था. यह असर उम्र के 3.5 साल बढ़ने के बराबर था.
वैज्ञानिकों के मुताबिक इंसोमनिया का असर डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी दो बड़ी बीमारियों से भी ज्यादा था. यानी नींद की कमी दिमाग पर सीधे हमला करती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि इंसोमनिया को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. कई बुजुर्ग सोचते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ नींद कम होना सामान्य है, जबकि यह गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अच्छी नींद लेकर डिमेंशिया जैसी खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है. यह एक ऐसा फैक्टर है जिसे बदला जा सकता है और पब्लिक हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है.