Shivering In Winters: ज्यादा ठंड बढ़ने पर क्यों कांपने लगता है शरीर, क्या कंपकंपी से कम हो जाती है सर्दी?
हाइपोथैलेमस लगातार शरीर के टेंपरेचर पर नजर रखता है. जैसे ही उसे थोड़ी सी भी गिरावट महसूस होती है वह इसे खतरा मान लेता है और गर्मी बचाने वाले रिस्पांस एक्टिव कर देता है. जैसे ही दिमाग यह सिग्नल देता है कि शरीर की अंदरूनी गर्मी कम हो रही है शरीर कांपना शुरू हो जाता है.
कांपना अपने आप होता है क्योंकि दिमाग मांसपेशियों को सिकुड़ने और ढीला होने के लिए तेजी से सिग्नल भेजता है. हम इसे कंट्रोल नहीं कर सकते यह शरीर की खुद को गर्म करने की ऑटोमेटिक कोशिश होती है.
हर मांसपेशी के सिकुड़ने से एनर्जी जलती है और गर्मी निकलती है. जब सैकड़ो मांसपेशियां एक साथ कांपना शुरू कर देती हैं तो गर्मी का प्रोडक्शन तेजी से बढ़ता है. इस वजह से शरीर की खोई हुई गर्मी वापस आने में मदद मिलती है.
कंपकंपी से पैदा हुई गर्मी जरूरी अंगों को टेंपरेचर बनाए रखने में मदद करती है. इससे हाइपोथर्मिया का खतरा कम हो जाता है.
कांपना, अकड़न और बेचैनी बस मांसपेशियों के ज्यादा काम करने के साइड इफेक्ट हैं. भले ही यह तेज लगे लेकिन कांपना इस बात का संकेत है कि शरीर ठंड से लड़ रहा है.
जैसे ही शरीर गर्म होता है हाइपोथैलेमस मांसपेशियों को कांपना रोकने के लिए सिग्नल देते हैं. खतरा टलने के बाद शरीर नॉर्मल काम करने लगता है.