कुछ समय बाद काली क्यों पड़ जाती हैं चांदी की चीजें, सोने पर क्यों नहीं होता ऐसा कोई असर?
कभी आपने अपने घर की चांदी की पूजा की थाली या पायल को देखा होगा, जो कुछ महीनों बाद ही हल्की काली पड़ जाती है. वहीं सोने की अंगूठी या हार सालों तक उसी चमक के साथ दमकते रहते हैं.
यह फर्क सिर्फ रंग या कीमत का नहीं, बल्कि धातुओं की रासायनिक प्रकृति का है. असल में, चांदी एक ऐसी धातु है जो हवा में मौजूद सल्फर यौगिकों से जल्दी प्रतिक्रिया कर लेती है.
खासतौर पर, हवा में मौजूद हाइड्रोजन सल्फाइड गैस से. जब यह गैस चांदी की सतह के संपर्क में आती है, तो एक रासायनिक प्रक्रिया होती है जिससे सिल्वर सल्फाइड (Ag₂S) बनता है. यही परत चांदी को धीरे-धीरे काला कर देती है.
यह प्रक्रिया Tarnishing कहलाती है, यानी चांदी की सतह पर एक रासायनिक परत का जम जाना, जो उसकी चमक को ढक देती है. हैरानी की बात है कि यह गैस हमारे आसपास की सामान्य चीजों से निकलती है, जैसे प्रदूषण, धूल, रबर, परफ्यूम, डिटर्जेंट, यहां तक कि इंसानी पसीने में भी कुछ मात्रा में सल्फर पाया जाता है.
इसलिए जो चांदी ज्यादा इस्तेमाल में आती है, वह जल्दी काली पड़ जाती है, जबकि अलमारी में रखी चीजें थोड़ा देर से प्रभावित होती हैं.
सोना रासायनिक रूप से बेहद स्थिर धातु है. इसका मतलब यह कि यह बहुत कम या लगभग कभी भी किसी गैस या ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया नहीं करता है.
हवा में मौजूद ऑक्सीजन, नमी या सल्फर का इस पर कोई खास असर नहीं पड़ता. इसलिए सोने की सतह पर न तो सल्फाइड बनता है और न ही ऑक्साइड, जिससे यह सालों तक अपनी चमक और रंग बरकरार रखता है.