Satellite Rust: सालों साल अंतरिक्ष में घूमती रहती हैं सैटेलाइट्स, फिर क्यों नहीं लगती इनमें जंग?
जंग लगना एक ऑक्सीकरण प्रक्रिया होती है. जंग तब लगता है जब लोहा नमी की मौजूदगी में ऑक्सीजन के साथ रिएक्ट कर के आयरन ऑक्साइड बनाता है. हालांकि अंतरिक्ष में ऑक्सीजन नहीं होती और ऑक्सीजन मॉलिक्यूल्स के बिना जंग के लिए जरूरी रासायनिक प्रक्रिया संभव ही नहीं है.
जंग को ऑक्सीजन के साथ-साथ पानी की भी जरूरत होती है. हवा में नमी भी पृथ्वी पर चीजों को जंग लगा सकती है. अंतरिक्ष में कोई नमी नहीं होती.
इंजीनियर सैटेलाइट को बनाते समय जंग लगने वाली धातुओं से बचते हैं. अल्युमिनियम और उसके मिश्रधातु का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है क्योंकि ये प्राकृतिक रूप से जंग रोधी होती हैं. इसी के साथ टाइटेनियम का भी इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह कभी मजबूत होता है और जंग के प्रति प्राकृतिक प्रतिरोधकता के तौर पर काम करता है.
इन सबके अलावा सैटेलाइट्स पर कुछ खास सुरक्षा वाली परतें भी चढ़ाई जाती हैं. इनमें सोने की परत, निकल की परत, सिरेमिक कोटिंग और रेडिएशन रोधी पेंट शामिल होते हैं. इन कोटिंग की वजह से रासायनिक प्रतिक्रिया रुकती हैं और रेडिएशन से होने वाले नुकसान को रोका जाता है.
हर सैटेलाइट को पूरी तरह से सील बंद प्रणाली के रूप में डिजाइन किया जाता है. इससे सैटेलाइट के अंदर की चीजें हवा, नमी, धूल या फिर दूषित पदार्थ के संपर्क में नहीं आती. छोटी सी भी लीक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को नष्ट कर सकती है, इस वजह से इसकी सीलिंग काफी सटीकता से की जाती है.
अंतरिक्ष में सैटेलाइट को खतरा जंग से नहीं सिर्फ सूक्ष्म उल्कापिंडों से है. इस वजह से सैटेलाइट को भले ही काफी कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है लेकिन अंतरिक्ष में जंग के लिए जरूरी तत्व मौजूद ही नहीं होते.