जरूरत से ज्यादा खाना कैसे खा लेता है इंसान, क्या है इसके पीछे का विज्ञान?
खाने को लेकर दिमाग और डायजेस्टिव सिस्टम के बीच गहरा संबंध है. इससे यह भी पता चलता है कि किसी भी खाने की क्रेविंग होने पर हम उसे जरूरत से खाने लगते हैं.
रिपोर्ट की मानें तो खाने से दिमाग में तीन गुना तेजी से डोपामाइन हार्मोन निकलता है. यह हार्मोन किसी को भी अच्छा महसूस कराने का काम करता है.
एक बार अमेरिका की केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की मानें तो उन्होंने बताया था कि चूहों को खिलाया गया हाई फैट वाला खाना एमएमपी-2 एंजाइम उत्पन्न करता है.
यह एंजाइम दिमाग एक हाइपोथेमस हिस्से में हार्मोन लेप्टिन को अपने रिसेप्टर से जुड़ने से रोकता है. इसलिए न्यूरॉन यह सिग्नल नहीं भेज पाता है कि अब खाना नहीं खाना चाहिए.
जब खाना टेस्टी होता है तो लोग न सिर्फ ज्यादा खा लेते हैं, बल्कि जल्दी जल्दी भी खाते हैं. तेजी से खाने के कारण वे हवा भी निगल जाते हैं. इससे हिचकियां और डकार की दिक्कत होने लगती है.
ओवरईटिंग का पता ऐसे चलता है कि जब भी हम जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं तो इससे हमारे शरीर पर ज्यादा बोझ पड़ता है. इसलिए भोजन पकाने के लिए ज्यादा ऊर्जा महसूस होती है.
इस वजह से शरीर पर दबाव पड़ता है और गम थका थका फील करने लगते हैं. लेकिन अगर यह किसी के साथ लगातार हो रहा है तो खाने-पीने की आदत पर कंट्रोल करने की जरूरत होती है.