कागज अगर एक बार मुड़ जाए, फिर पहले जैसा क्यों नहीं होता है? विज्ञान देता है इसका जवाब, आप भी पढ़िए
कागज को मोड़ने के बाद उसपर पड़ी शिकन फिर कभी नहीं जाती हैं. कागज एक बार मुड़ जाने के बाद नए जैसा नहीं बन पता है. कागज को मोड़कर तो हर कोई फेंक देता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि कागज पर मरोड़ क्यों आ जाती है.
कागज पर पड़ने वाली शिकन का कारण जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि कागज को बनाया कैसे जाता है. कागज को बनाने के लिए प्लांट फाइबर को चपटा कर डाई किया जाता है और सपाट सर्फेस में बदल दिया जाता है.
कागज बनाने के लिए आमतौर पर बांस, जूट, कॉटन आदि के प्लांट मैटेरियल को पीटा जाता है. पीटने से फाइबर बाहर निकल आता है. फिर प्लान मैटेरियल को पानी के साथ मिलाकर पल्प में बदला जाता है. एक लंबी प्रक्रिया होने के बाद कागज बनकर तैयार होता है.
हर वस्तु की एक इलास्टिक लिमिट होती है. इलास्टिक लिमिट तक वस्तु को मोड़ने पर वो अपने असली आकार में वापस आ जाती है. वहीं, हर वस्तु में प्लास्टिक रीजन भी होता है. इस हद तक मोड़ने पर वस्तु पर परमानेंट निशान या शिकन पड़ जाते हैं.
हर वस्तु की इलास्टिक लिमिट अलग-अलग होती है. पेपर के मामले में अगर आप पेपर को बेलनाकार मोड़ दें तो वह पुराने आकार में वापस आ जायेगा, लेकिन किसी और तरह से मोड़ने पर उसमें शिकन पड़ जाएगी.