Emotional Drinking: लोग गम में क्यों पीते हैं शराब, जानें क्या है इसके पीछे की वजह
शराब सेंट्रल नर्वस सिस्टम को धीमा कर देती है. इस वजह से इमोशनल दर्द की तीव्रता कम हो जाती है. यह सुन्न करने वाला असर दर्दनाक यादों और भावनाओं को दूर या फिर हल्का महसूस कराता है. किसी भी दुख से जूझ रहे व्यक्ति के लिए यह कुछ समय की राहत आरामदायक महसूस होती है.
जब भी कोई व्यक्ति शराब पीता है तो दिमाग डोपामाइन रिलीज करता है. यही केमिकल खुशी और इनाम से जुड़ा होता है. डोपामाइन का यह उछाल कुछ समय के लिए उदासी को गर्मी, आराम या फिर हल्के उत्साह की भावना से बदल देता है. इससे दिमाग यह मानने पर मजबूर हो जाता है की चीजें बेहतर हो रही हैं.
शराब दिमाग के प्री फ्रंटल कॉर्टेक्स को कमजोर करती है. यह वह हिस्सा होता है जो फैसले, नियंत्रण और तर्क को सोचने के लिए जिम्मेदार होता है. इस हिस्से के धीमा होने से लोग कम आत्म जागरूक महसूस करते हैं. इसके बाद लोग मानसिक रूप से अपनी समस्याओं को दोहराना बंद कर देते हैं.
कई लोगों के लिए शराब उन भावनाओं से निपटने का एक तेज और आसान तरीका बन जाती है जिन्हें वे संभालना नहीं जानते. अपनी भावनाओं को समझने की बजाय वह बेहतर महसूस करने के लिए शराब पर निर्भर हो जाते हैं.
कई संस्कृतियों में दुख के दौरान शराब पीना सामान्य माना जाता है. फिल्म, गाने और दोस्तों के ग्रुप अक्सर इस विचार को बढ़ावा देते हैं कि एक ड्रिंक आपको बेहतर महसूस करा सकती है.
उदासी अक्सर लोगों को लाचार या फिर परेशान महसूस कराती है. शराब भावनाओं को हल्का करके इस बात का एहसास दिलाती है कि वे अपने दर्द को मैनेज कर सकते हैं. अब भले ही यह कंट्रोल एक भ्रम हो.