वकील काला कोट ही क्यों पहनते हैं, लाल या नीला क्यों नहीं?
काले रंग को कुछ जगह अशुभ माना जाता है. इसीलिए शादी या अन्य खास मौक़ों पर काले रंग को पहनने के लिए मना किया जाता है. लेकिन जब आप कोर्ट परिसर में जाते हैं तो वहां आपको सभी काले रंग के लिबास में दिखाई देते हैं वकील हो या जज हो सभी काले कोट में दिखते हैं.
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View In Appलेकिन क्या आपने कभी सोचा है वकील काले रंग के कोट ही क्यों पहनते हैं. लाल पीले हरे या नीले रंग के को क्यों नहीं पहनते. आखिर इसके पीछे क्या वजह है. नहीं पता तो आइये आपको बताते हैं.
दरअसल कल कोर्ट को अनुशासन और आत्म विश्वास का प्रतीक माना जाता है इसके साथ ही काले रंग को ताकत और अधिकार का प्रतीक भी माना जाता है. इसलिये ही वकील और जज काले रंग के कोर्ट में दिखाई देते हैं.
दुनिया के और किसी प्रोफेशन में काले रंग के कपड़े नहीं पहने जाते. वकीलों और जजों को काला रंग एक अलग पहचान देता है. इसके साथ ही वकीलों की शर्ट में एक सफेद रंग का बंद भी लगा हुआ होता है. जो की पवित्रता की निशानी माना जाता है.
काले रंग का संबंध अंधेपन से भी होता है. जिस तरह अंधे इंसान को कुछ दिखाई नहीं देता और वह पक्षपात नहीं करता. इसी प्रकार वकील और जज भी काले रंग को पहनकर इस बात का प्रतीक देते हैं कि वह पक्षपात नहीं करेंगे.
आपको बता दें भारत में साल 1961 के एडवोकेट एक्ट के तहत वकीलों के लिए काला कोट पहनना अनिवार्य किया गया है. इसीलिए अगर कोई वकील ना भी चाहे तब भी उसे वकालत करनी है तो काला कोट पहनना ही होगा.
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