Elephant Ears: इतने बड़े क्यों होते हैं हाथी के कान, क्या इससे उसे ज्यादा सुनाई देता है?
हाथी मनुष्य की तरह पसीना नहीं बहा सकते. इसका मतलब होता है कि उन्हें शरीर की गर्मी बाहर निकालने के लिए किसी दूसरे तरीके की जरूरत होती है. हाथी के कानों में त्वचा के ठीक नीचे रक्त वाहिकाओं का एक घना जाल होता है. जब हाथी अपने कान फड़फड़ाते हैं तो यह गति इन वाहिकाओं को हवा के संपर्क में लाती है. इसके बाद रक्त संचार ठंडा हो जाता है. यह रक्त वापस से शरीर में प्रवाहित होता है जिससे हाथी का तापमान कम हो जाता है.
सभी हाथियों के कान एक जैसे नहीं होते. अफ्रीकी हाथियों के कान आमतौर पर एशियाई हाथियों की तुलना में काफी ज्यादा बड़े होते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अफ्रीकी क्षेत्र में तापमान ज्यादा होता है. बड़े कान ठंडक के लिए ज्यादा सतह को प्रदान करते हैं.
हाथी के कान बड़े ध्वनि संग्राहकों के रूप में भी काम करते हैं. उनका चौड़ा और पतला आकार आसपास के वातावरण से ध्वनि की तरंगों को पकड़ने और उन्हें आंतरिक कान की तरफ मोड़ने में मदद करता है. इसकी मदद से उन्हें दूर या फिर धीमी आवाज को सुनने में मदद मिलती है.
हाथी इंफ्रासाऊंड सुनने में सक्षम होते हैं. इस ध्वनि की फ्रीक्वेंसी इतनी कम होती है कि इंसान तक नहीं सुन पाते. यह लो फ्रिकवेंसी साउंड वेव काफी दूर तक जा सकती है. हाथी झुंड के सदस्यों से संपर्क में रहने और अपने साथियों का पता लगाने या फिर दूर के खतरे का संकेत देने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं.
हाथी सिर्फ वोकल साउंड पर ही निर्भर नहीं रहते बल्कि उनके कानों की गति सामाजिक संकेत भी देती है. कानों को फड़फड़ाना, खड़ा करना या फिर फैलाना आक्रामकता, जिज्ञासा, शांति या फिर उत्साह को दर्शा सकते हैं.
अपने कानों को हिलाने की क्षमता हाथियों को आवाज की दिशा निर्धारित करने में भी मदद करती है. कानों के कोण को एडजस्ट करके वे स्त्रोत का सटीक पता लगा सकते हैं.