ताजमहल और लाल किला जैसे मॉन्यूमेंट्स का मालिकाना हक अब किसके पास है?
लाल किला का निर्माण 12 मई 1639 को पूरा हुआ था. हालांकि, इसके निर्माण का काम शाहजहां ने 1638 से ही शुरू करा दिया था. बाद में इसे शाहजहां ने अपने बेटे दाराशिकोह को सौंप दिया. इसे विश्व धरोहरों की लिस्ट में शामिल किया गया है.
वहीं ताज महल की बात करें तो इसे साल 1632 में मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पसंदीदा पत्नी मुमताज महल के मकबरे के तौर पर बनाया था. ये इतना सुंदर और अद्भुत है कि इसे दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है.
अब आते हैं कि आखिर इन दोनों मॉन्यूमेंट्स का मालिकाना हक किसके पास है. दरअसल, जब मुगलों का इस देश पर शासन था तब इन दोनों जगहों का मालिकाना हक उन्हीं के वंशजों के पास था. लेकिन फिर भारत पर अंग्रेजी हुकूमत आई और सबकुछ उनके अंडर आ गया.
हालांकि, जब देश आजाद हुआ तब भारत सरकार ने 2826 ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित श्रेणी में रखा. इनमें लाल किला और ताजमहल भी था. इन धरोहरों की देखरेख का जिम्मा पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई के हाथों में दे दी गई.
दरअसल, राष्ट्रीय महत्व के सभी धरोहरों का संरक्षण एएसआई की टीम करती है. संविधान का अनुच्छेद 42 और 51 ए(एफ) ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण को राष्ट्रीय कर्तव्य घोषित करता है. यानी आप इनको नुकसान नहीं पहुंचा सकते.
इसके अलावा इनके मालिकाना हक को लेकर कई लोग दावा भी ठोक चुके हैं. कुछ समय पहले जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया कुमारी ने दावा किया था कि ताजमहल उनके पुरखों का महल था.
वहीं लाल किले को लेकर आखिरी मुगल बादशाह शाह जफर की प्रपौत्र वधु सुल्ताना बेगम ने दावा ठोका था कि लाल किला उनका है. उन्होंने इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी.