किस विमान से दिल्ली में कराई जाएगी कृत्रिम बारिश, इसकी एक उड़ान में कितना लगेगा फ्यूल?
दिल्ली का प्रदूषण हर साल सर्दियों में एक डरावने संकट की तरह लौट आता है. दिवाली के बाद तो हालात और बिगड़ जाते हैं, जब हवा में धुआं, धूल और धुआं मिलकर शहर को एक गैस चेंबर में बदल देते हैं.
इस बार दिल्ली सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए एक अनोखा कदम उठाया है, क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश का सहारा. इसका उद्देश्य है हवा में मौजूद जहरीले कणों को बारिश के जरिए नीचे गिरा देना, ताकि सांस लेने लायक माहौल बन सके.
दिल्ली में यह प्रक्रिया 28 से 30 अक्टूबर के बीच हो सकती है, अगर मौसम का मिजाज साथ देता है तो. आईआईटी कानपुर की टीम ने बताया कि क्लाउड सीडिंग के लिए आसमान में पर्याप्त बादल और नमी होना बेहद जरूरी है.
जैसे ही यह स्थितियां बनेंगी, विमान बादलों में रसायन छोड़कर उन्हें बारिश में बदलने की कोशिश करेगा. इस अभियान के लिए सेसना नामक विमान का इस्तेमाल किया जा रहा है.
यह छोटा लेकिन शक्तिशाली विमान वैज्ञानिक प्रयोगों और कम ऊंचाई वाली उड़ानों के लिए मशहूर है. इसे खास तौर पर क्लाउड सीडिंग के लिए तैयार किया गया है, जिसमें 8 से 10 केमिकल पैकेट लगाए गए हैं. जैसे ही यह विमान बादलों की परतों में पहुंचेगा, पायलट एक बटन दबाकर इन रसायनों को फटने देगा, जिससे बादलों में जलकण बनने लगेंगे और बारिश की शुरुआत हो जाएगी.
एक सामान्य सेसना 172 विमान प्रति घंटे में लगभग 26 से 34 लीटर ईंधन खपत करता है. चूंकि क्लाउड सीडिंग के लिए विमान को लगभग 90 मिनट यानी डेढ़ घंटे की उड़ान भरनी होती है, तो इसमें करीब 39 से 51 लीटर फ्यूल की जरूरत पड़ेगी.
औसतन एक उड़ान के लिए 28 से 38 लीटर तक का ईंधन खर्च आता है. यानी सरल शब्दों में कहें तो एक बार की कृत्रिम बारिश कराने के लिए विमान में इतना फ्यूल जलता है, जितना एक बड़ी कार महीनेभर में नहीं जलाती.