Indian Army Dogs Training: कुत्तों को कहां ट्रेंड करती है इंडियन आर्मी, क्या इनके लिए भी बनाए गए हैं ट्रेनिंग सेंटर्स
इंडियन आर्मी के डॉग्स की ट्रेनिंग मेरठ, उत्तर प्रदेश स्थित रीमाउंट एंड वेटरनरी कॉर्प्स (RVC) सेंटर एंड कॉलेज में दी जाती है.
यही एशिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना सैन्य डॉग ट्रेनिंग सेंटर है, जिसकी स्थापना 1960 में हुई थी. यहां हर साल 200 से ज्यादा कुत्तों को अलग-अलग श्रेणियों में प्रशिक्षित किया जाता है.
भारतीय सेना मुख्य रूप से लैब्राडोर, बेल्जियन मेलिनोइस, जर्मन शेफर्ड और स्वदेशी नस्लों जैसे मुडहोल हाउंड और राजापालयम को ट्रेनिंग देती है. इन नस्लों का चयन उनकी सूंघने की क्षमता, फुर्ती और अनुशासन के आधार पर किया जाता है.
इन कुत्तों की ट्रेनिंग की अवधि 6 से 9 महीने तक होती है. इस दौरान कुत्तों को कई प्रकार के कौशल सिखाए जाते हैं, जैसे, सूंघकर विस्फोटक और हथियार पहचानना, खोई हुई वस्तुओं और लाशों की खोज करना, सीमा पर संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी करना, आपदा प्रबंधन और रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद करना आदि शामिल है.
इस प्रशिक्षण में कुत्तों के साथ उनके हैंडलर को भी ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि उनमें आपसी तालमेल बना रहे. भारतीय सेना के डॉग स्क्वॉड ने कई बार देश को गर्व महसूस कराया है.
कारगिल युद्ध (1999) के दौरान कुत्तों ने बारूदी सुरंगों का पता लगाया था. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद ये कुत्ते 8 से 10 साल तक सेना के साथ सेवा देते हैं.
रिटायर होने के बाद इन्हें विशेष गोद लेने की प्रक्रिया के तहत नागरिक परिवारों या पुलिस विभाग को सौंपा जाता है. भारतीय सेना के डॉग स्क्वॉड सिर्फ सहायक नहीं, बल्कि असली सैनिक होते हैं.