सर्दियां आते ही कहां गायब हो जाते हैं सांप और छिपकली जैसे जानवर, आखिर ये जाते कहां हैं?
जैसे ही मौसम ठंडा होता है, कोल्ड-ब्लडेड जानवरों की गतिविधियां अचानक घट जाती हैं. सांप, छिपकली और मेंढक इस समय बिलों, पत्थरों की दरारों या पेड़ों की जड़ों में जाकर महीनों तक निष्क्रिय हो जाते हैं. यह प्रक्रिया 'हाइबरनेशन' कहलाती है.
इस दौरान उनका मेटाबॉलिज्म कम हो जाता है और वे बिना भोजन के ऊर्जा बचाते हुए ठंड से सुरक्षित रहते हैं. सांप, विशेषकर कोबरा, करैत और रसेल वाइपर जैसे जहरीले प्रजातियां, ठंड में अपने बिलों में ही महीनों तक छिपे रहते हैं.
अजगर जैसे बड़े सांप कभी-कभी हल्की धूप में शरीर गर्म करने निकल आते हैं, लेकिन यह दृश्य दुर्लभ होता है. यदि इस मौसम में किसी सांप को देखा जाए, तो इसका मतलब है कि उनकी नींद में खलल पड़ा है.
छिपकली और मेंढक भी इस प्राकृतिक नींद का हिस्सा बनते हैं. मेंढक तालाब की मिट्टी में या पानी के किनारे छिपकर ठंड से बचते हैं. कछुए अपने आप को पानी के नीचे स्थिर रखकर सर्दी में ऊर्जा बचाते हैं. इसी तरह घोंघे और अन्य छोटे सरीसृप भी ठंड से बचने के लिए निष्क्रिय हो जाते हैं.
एनिमल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि हाइबरनेशन केवल शारीरिक निष्क्रियता नहीं है. यह उनके जीवन और जीवित रहने की रणनीति का अहम हिस्सा है. ठंड के महीनों में यदि कोई जीव दिखाई दे जाए, तो समझ लीजिए कि उनका प्राकृतिक रूटीन बाधित हो गया है.
जैसे-जैसे फरवरी के अंत में तापमान बढ़ता है, ये जीव धीरे-धीरे अपनी नींद से बाहर आने लगते हैं. मार्च तक अधिकतर सांप, मेंढक और छिपकली फिर से सक्रिय हो जाते हैं. बरसात में जब बिलों में पानी भर जाता है, तो मजबूरी में ये जानवर खेतों या घरों में दिखाई देते हैं. यही कारण है कि बरसात और सर्दी में कभी-कभी अचानक सांप या मेंढक दिखाई देने लगते हैं.
इस पूरी प्रक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि सर्दियों में इन जीवों का गायब होना उनकी जीवित रहने की कला है. प्राकृतिक हाइबरनेशन उन्हें ठंड से बचाता है और ऊर्जा बचाने में मदद करता है. यह एक शानदार उदाहरण है कि कैसे प्रकृति ने छोटे जीवों को सर्दी से बचने और जीवन को सुरक्षित रखने का तरीका सिखाया है.