Chakhna History: शराब के साथ कब से खाया जा रहा है चखना, कितना पुराना है इसका इतिहास?
प्राचीन काल से ही शराब के साथ कुछ ना कुछ खाने की परंपरा चली आ रही है. अलग-अलग सभ्यताओं ने यही माना है कि शराब पीते समय कुछ ना कुछ खाने से न सिर्फ शराब की तीक्ष्णता कम होती है बल्कि उसका अनुभव और भी ज्यादा मजेदार हो जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि 1930 के दशक में न्यू ऑरलियंस में बार ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए हर शराब के साथ एक मुफ्त प्लेट खाना देते थे. इसके पीछे का विचार काफी आसान था कि भोजन जितना भारी होगा ग्राहक उतनी ही ज्यादा शराब आराम से पी सकता है.
शराब पीते समय स्नैक्स खाने से तेज शराब के स्वाद को संतुलन करने, उसको आसानी से पचाने और लोगों को लंबे समय तक आनंद लेने में मदद मिलती है. यही वजह है कि आज भी पीने वाले हर घूंट के बीच मूंगफली, कबाब या फिर चिप्स खाते हैं.
मुगल दरबारों में शराब के साथ कई शानदार व्यंजन परोसे जाते थे. इनमें खजूर, खुबानी, अंजीर, बादाम, पिस्ता, भुना हुआ मांस और कबाब शामिल थे.
महाराष्ट्र में मूंगफली और उबले अंडे को चखने के रूप में लोकप्रियता मिली, पंजाब में तंदूरी चिकन और पनीर टिक्का, पूर्वोत्तर में स्मॉक्ड मीट और महानगरों ने चखने के रूप में पिज्जा, मोमोज, मंचूरियन को अपनाया.
1970 और 1990 के दशक के बीच मूंगफली और अंडे को पूरे भारत में चखने का एक खास व्यंजन माना जाने लगा. यह काफी सस्ता होता था और साथ ही आसानी से उपलब्ध भी था. इसी के साथ मूंगफली में विटामिन बी9 काफी ज्यादा मात्रा में होता है जो शराब के प्रभाव को कम करता है.