क्या होगा जब पृथ्वी पर नहीं रहेंगे ग्लेशियर?
ग्लेशियर की परत हाल ही में या कुछ सालों पहले ही नहीं जमीं, बल्कि इन्हें बनने में कई हजार सालों का समय लगा है. हालांकि अब ये तेजी से पिघल रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ ही दशकों में ग्लेशियरों का एक बड़ा हिस्सा पिघल जाएगा.
शोधकर्ताओं के अनुसार मध्य और पूर्वी हिमालय क्षेत्र के ज्यादातर ग्लेशियर अगले एक दशक में मिट जाएंगे. कुछ ग्लेशियर के पिघलने का खतरा ज्यादा गंभीर नजर आएगा. जिसके चलते आने वाली बाढ़ से जिन देशों को सबसे ज्यादा गुजरना होगा उनमें पाकिस्तान भी शामिल है.
अब हम बात करें ग्लेशियर पिघलने से आने वाले जोखिम की तो नेचर कम्युनिकेशंस नाम के जर्नल की रिसर्च के अनुसार, दुनिया में डेढ़ करोड़ लोग ग्लेशियर झीलों में बड़ते बाढ़ के खतरे के साए में हैं. जिनमें से 20 लाख लोग पाकिस्तान में हैं.
यदि ये ग्लेशियर पिघल गए तो इनका पानी झीलों में जाएगा और फिर झीलों का किनारा तोड़कर बाहर आएगा. ऐसे में झील से बाहर आने वाले पानी से बाढ़ का खतरा पैदा होगा. जिससे रिहाइशी इलाकों को बड़ा नुकसान होने का खतरा उत्पन्न होगा.
एक्सपर्ट्स की मानें तो ग्लोबल वार्मिंग के चलते अगली सदी तक 75 प्रतिशत हिमालय का हिस्सा खत्म हो सकता है. जो एक ऐसा नुकसान होगा जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती. वहीं ये ग्लेशियर नहीं होंगे तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पीने का साफ पानी उपलब्ध होने में लोगों को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा साथ ही पृथ्वी पर कितनी अधिक गर्मी बढ़ जाएगी.