क्या है मस्जिदे अक्सा और इसकी कहानी? जिसे अपना कहते हैं मुस्लिम, ईसाई और यहूदी
अल अक्सा मस्जिद दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है, जो कि इजराइल की राजधानी येरूशलेम में स्थि है. यह 35 एकड़ में फैली है.
इसके बारे में मान्यता है कि इस मस्जिद को पैगंबर मोहम्मद के मित्र खलीफा इल-अब्र-खट्टाब ने बनवाया था. इसीलिए इससे सिर्फ फिलिस्तीनियों नहीं, बल्कि दुनियाभर में रहने वाले मुसलमानों में पवित्र माना जाता है.
इस्लाम में इसे सबसे सबसे दूर की मस्जिद या मुकादिस के रूप में जाना जाता है. इस्लामिक मान्तया के अनुसार इसे मक्का मदीना के बाद दुनिया की तीसरी सबसे पवित्र जगह में से एक माना जाता है.
मुस्लिमों में माना जाता है कि पैगंबर मुहम्मद इसी जगह से जन्नत तक पहुंचे थे. मुसलमानों के अलावा यहूगी इसे टेंपल माउंट कहते हैं. यहूदी मान्यता की मानें तो यही वो जगह है, जहां पर 1000 ई.पू. राजा सोलोमन ने यहूदी मंदिर बनवाए थे.
कई बार इस जगह को ध्वस्त कर दिया गया, जहां पर इस वक्त सिर्फ एक दीवार बची हुई है. इसे ही यहूदी वेस्ट वॉल कहा जाता है. यहूदी कहते हैं कि अल अक्सा मस्जिद वह जगह है, जहां पर ईश्वर ने पहला इंसान बनाया था.
ईसाई धर्म में ऐसा कहा जाता है कि जिस यरूशलम में अल अक्सा मस्जिद है, वहां पर कभी ईसा मसीह ने अपना पवित्र उपदेश दिया था और यहीं उनको सूली पर चढ़ाया गया था.
इसी जगह पर वे एक बार फिर से दोबारा जीवित हुए थे. इसीलिए दुनियाभर के ईसाइयों के लिए लिए वो सबसे पवित्र स्थान है.