✕
  • होम
  • इंडिया
  • विश्व
  • उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
  • बिहार
  • दिल्ली NCR
  • महाराष्ट्र
  • राजस्थान
  • मध्य प्रदेश
  • हरियाणा
  • पंजाब
  • झारखंड
  • गुजरात
  • छत्तीसगढ़
  • हिमाचल प्रदेश
  • जम्मू और कश्मीर
  • बॉलीवुड
  • ओटीटी
  • टेलीविजन
  • तमिल सिनेमा
  • भोजपुरी सिनेमा
  • मूवी रिव्यू
  • रीजनल सिनेमा
  • क्रिकेट
  • आईपीएल
  • कबड्डी
  • हॉकी
  • WWE
  • ओलिंपिक
  • धर्म
  • राशिफल
  • अंक ज्योतिष
  • वास्तु शास्त्र
  • ग्रह गोचर
  • एस्ट्रो स्पेशल
  • बिजनेस
  • हेल्थ
  • रिलेशनशिप
  • ट्रैवल
  • फ़ूड
  • पैरेंटिंग
  • फैशन
  • होम टिप्स
  • GK
  • टेक
  • ऑटो
  • ट्रेंडिंग
  • शिक्षा

Shooting Stars: क्या होती है तारों के टूटने की वजह, जानें आसमान से टूटकर ये कहां गिरते हैं

स्पर्श गोयल   |  15 Dec 2025 06:20 PM (IST)
1

जिसे हम आमतौर पर टूटता तारा कहते हैं वह असल में एक उल्का पिंड होता है. यह अंतरिक्ष में तैरता हुआ चट्टान या फिर धातु का एक छोटा टुकड़ा होता है. यह टुकड़े अकसर टूटे हुए क्षुद्रग्रहों या फिर धूमकेतुओं द्वारा छोड़े गए धूल भरे रास्तों से आते हैं. जब पृथ्वी इन मलबे से भरे रास्तों से गुजरती है तो हजारों उल्का पिंड हमारे ग्रह के वायुमंडल के अंदर आते हैं. इसी वजह से वे चमकदार रोशनी की लकीरें बनती हैं.

Continues below advertisement
2

उल्कापिंड पृथ्वी के वायुमंडल में काफी तेजी से आते हैं. यह रफ्तार 40,000 से 70,000 किलोमीटर प्रति घंटे तक होती है. यह जबरदस्त रफ्तार पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव की वजह से होती है जो किसी भी चीज को अपनी ओर खींचती है.

Continues below advertisement
3

जैसे ही उल्का पिंड पृथ्वी के वायुमंडल में आता है वह हवा के मॉलिक्यूल से जोर से टकराता है. इस टक्कर से फ्रिक्शन और कंप्रेशन की वजह से काफी ज्यादा गर्मी पैदा होती है. इसके बाद उल्का पिंड की सतह लगभग तुरंत जलकर हवा में मिलने लगती है. इसके बाद आयनित गैस का एक चमकदार निशान बनता है. यही निशान हमें टूटते तारे के रूप में दिखाई देता है.

4

टूटते तारे जमीन के पास नहीं जलते हैं. ज्यादातर उल्का पिंड पृथ्वी के सतह से 80 से 120 किलोमीटर ऊपर ही नष्ट हो जाते हैं. इस ऊंचाई पर वायुमंडल पतला होता है लेकिन इसके बावजूद भी इतना घना होता है कि आने वाले ज्यादातर अंतरिक्ष कणों को नष्ट कर सके.

5

कुछ मामलों में एक उल्कापिंड इतना बड़ा और घना होता है कि वह अपनी आग वाली यात्रा से बच जाता है. अगर कोई टुकड़ा धरती की सतह पर पहुंचते हैं तो यह टकराने से पहले तेजी से ठंडे हो जाते हैं और अक्सर रेगिस्तान, ध्रुवीय क्षेत्र या फिर खुले मैदानों में पाए जाते हैं.

6

जब उल्का पिंड धरती पर पहुंचते हैं तब भी उनके लोगों या फिर इमारत से टकराने की संभावना काफी कम होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि धरती का 70% से ज्यादा हिस्सा महासागरों से ढका हुआ है, इसलिए ज्यादातर बचे हुए टुकड़े पानी में गिर जाते हैं और बिना खोजे रह जाते हैं.

  • हिंदी न्यूज़
  • फोटो गैलरी
  • जनरल नॉलेज
  • Shooting Stars: क्या होती है तारों के टूटने की वजह, जानें आसमान से टूटकर ये कहां गिरते हैं
Continues below advertisement
About us | Advertisement| Privacy policy
© Copyright@2025.ABP Network Private Limited. All rights reserved.