Glass Skywalk: चीन को पीछे छोड़ विशाखापट्टनम में खुला देश का सबसे लंबा ग्लास स्काईवॉक, जानें इसके बारे में सबकुछ
इस स्काईवॉक की सबसे बड़ी खासियत इसका खतरनाक रोमांच है. पूरा ढांचा पहाड़ी से बाहर निकला है, यानी नीचे किसी तरह का सपोर्ट नहीं है. यह 50 मीटर लंबा प्लेटफॉर्म ऐसे झूलता महसूस होता है मानो आप समुद्र के ऊपर तैर रहे हों.
862 फीट जमीन से और लगभग 1000 फीट समुद्र तल से ऊपर खड़े होकर नीचे झांकना किसी के लिए भी दिल की धड़कनें बढ़ाने के लिए काफी है. ट्रांसपेरेंट ग्लास से कदमों के नीचे दिखाई देती गहराई लोगों को एक साथ रोमांच और डर दोनों महसूस कराती है.
इस स्काईवॉक की खूबसूरती का असली जादू इसके दृश्य में छिपा है. सामने बे ऑफ बंगाल की अनंत फैली नीली लहरें, दूसरी ओर शहर की हलचल और पीछे पूर्वी घाट की हरी-भरी पहाड़ियों का सौंदर्य, यहां खड़े होकर ऐसा लगता है जैसे विजाग पूरे का पूरा आपकी मुट्ठी में समा गया हो.
फोटोग्राफी करने वालों के लिए तो यह जगह किसी ड्रीम लोकेशन से कम नहीं है. सुबह का सुनहरा सूरज और शाम का नारंगी आसमान ग्लास पर ऐसी रोशनी फैलाते हैं जो हर तस्वीर को पोस्टकार्ड जैसा बना देती है.
यह स्काईवॉक कुल 7 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ है. इस प्रोजेक्ट में तकनीक और इंजीनियरिंग दोनों का अनोखा मेल देखने को मिलता है. यहां ग्लास की 40 मिमी ट्रिपल-लेयर टेंपर्ड शीट जर्मनी से मंगाई गई है, ताकि तेज हवाओं, तटीय मौसम और अचानक बदलते वातावरण से संरचना पर कोई असर न पड़े.
नीचे 40 टन रिइनफोर्स्ड स्टील इसे इतना मजबूत बनाता है कि पर्यटक पूरी सुरक्षा के साथ इस पर खड़े होकर दृश्य का आनंद ले सकें. अक्सर ग्लास ब्रिजों को लेकर लोगों के मन में सुरक्षा को लेकर सवाल उठते हैं. लेकिन यहां सुरक्षा ही इसकी सबसे मजबूत USP है.
टेम्पर्ड लैमिनेटेड ग्लास और स्टील सपोर्ट इसे इतनी मजबूती देते हैं कि तेज हवाएं भी इस पर खड़े व्यक्ति को कोई असुरक्षा महसूस नहीं होने देती है. रिपोर्ट की मानें तो इस स्काईवॉक को डिजाइन करते समय अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखा गया है. इसकी मजबूती परीक्षणों में कई बार साबित हो चुकी है.