Why People Bond With Strangers: अजनबियों से दोस्ती और अपनों से लड़ाई... क्या आपका करीबी भी करता है ऐसा, जानें क्यों?
अपनों से लड़ाई इसलिए जल्दी होती है क्योंकि उनसे हमारी उम्मीदें ज्यादा होती हैं. हम चाहते हैं कि वो हमें समझें, सुनें, और हमारा साथ दें. जब उम्मीदें टूटती हैं, तो छोटी बात भी बड़ी लगने लगती है. इसी वजह से घर के लोगों पर गुस्सा ज्यादा निकलता है.
दूसरी तरफ, अजनबियों के सामने लोग खुद को कंट्रोल में रखते हैं. वहां कोई भावनात्मक बोझ नहीं होता. न वो हमें जज करते हैं, न हमें उनसे इतनी उम्मीद होती है. इसलिए बाहर वाला चेहरा हमेशा नरम और संभला हुआ रहता है.
हो सकता है कि व्यक्ति अंदर ही अंदर किसी तनाव से गुजर रहा हो. दिनभर का प्रेशर, जिम्मेदारियां और थकान का असर कभी-कभी सबसे पहले अपनों पर ही निकलता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इंसान बाहर मजबूती दिखाता है और घर आकर ढह जाता है.
कुछ लोग अपनी अंदर की परेशानियों को शब्दों में नहीं कह पाते. वो बोल नहीं पाते कि उन्हें क्या तकलीफ है. ऐसे में मन की घबराहट चिढ़चिढ़ेपन में बदल जाती है, और इसका असर सबसे पहले उन्हीं लोगों पर पड़ता है जो सबसे ज्यादा पास होते हैं.
मानसिक स्थिति भी इसके पीछे की बड़ी वजह हो सकती है. ओवरथिंकिंग, चिंता, या उदासी की वजह से भी व्यक्ति न चाहते हुए भी रिश्तों में दूरी बनाने लगता है. लोग समझते हैं कि उसका व्यवहार खराब है, जबकि असल में वह अंदर से लड़ रहा होता है.
कई बार बचपन के कुछ अनुभव भी इस तरह के व्यवहार में अहम भूमिका निभाते हैं. अगर कोई पहले अटेंशन या समझ पाने के लिए संघर्ष कर चुका है, तो बड़े होने पर करीबी रिश्तों में असुरक्षा या गुस्सा ज्यादा दिखने लगता है. ये किसी पैटर्न की तरह दोहराया जाता है.