जिस टूथपेस्ट से डेली चमकाते हैं अपने दांत कहीं वो नॉनवेज तो नहीं, कैसे चलेगा पता?
आमतौर पर रोज दांतों को चमकाने वाले टूथपेस्ट को वेजिटेरियन माना जाता है. विदेशों की अगर बात छोड़ दें तो भारत में लोग व्रत के दिन भी पहले टूथपेस्ट से दांतों की सफाई करते हैं और फिर नहाते हैं.
ऐसे में अगर कोई कहता है कि टूथपेस्ट नॉनवेज है तो कई तरह के सवाल उठते हैं. लेकिन क्या सच में टूथपेस्ट नॉनवेज हो सकता है. जी हां, कई ऐसे ब्रांड होते हैं जो कि इसमें जानवरों से मिलने वाली चीजों का इस्तेमाल करते हैं.
अब सवाल यह है कि आखिर टूथपेस्ट में कौन सी ऐसी चीजें मिलाई जाती हैं, जो कि इसे नॉनवेज बनाती हैं. भारत में जो टूथपेस्ट तैयार किया जाता है, उसमें नेचुरल चीजों का इस्तेमाल होता है.
भारत में टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनियां पौधों से मिलने वाली चीजों जैसे कि लौंग, पुदीना जैसी चीजों का इस्तेमाल करती हैं, इसीलिए इसमें तो नॉनवेज जैसी कोई समस्या नहीं होती है.
लेकिन कुछ अंतरराष्ट्रीय ब्रांड टूथपेस्ट में जानवरों से मिलने वाली चीजों जैसे कि जानवरों के फैट से मिलने वाली ग्लिसरीन, उनकी हड्डियों से निकलने वाले कैल्शियम फॉस्फेट का इस्तेमाल करते हैं.
कंपनियों के ऐसा करने के पीछे की खास वजह होती है. सबसे पहला सस्ता और टिकाऊ ऑप्शन होता है. जानवरों से निकलने वाली चीजें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं. ये चीजें टूथपेस्ट को बेहतर टेक्सचर और लंबे समय तक खराब नहीं होने देती हैं.
अगर आपको भी अपने टूथपेस्ट के बारे में वेज या नॉनवेज का पता करना है तो पैकेट पर इस बात की जानकारी दी गई होती है. पैकेट पर 100% वेजीटेरियन लिखा होता है और हरे रंग से मार्किंग होती है. वहीं नॉनवेज के लिए लाल रंग से मार्क किया जाता है.