मकड़ी कैसे बुन लेती है इतना सारा जाला, कहां से आता है इतना तार?
क्या आपके मन में कभी ख्याल आया है कि मकड़ी इतना सारा जाला लाती कहां से है और इसे कैसे बुनती है? दरअसल, कई बार हम देखते हैं कि एक बार जाला हटाने के कुछ देर बाद ही वहां फिर से जाला लग जाता है.
आपने नोटिस किया होगा कि मकड़ी का जाला कई बार खिंचता जाता है और यह टूटता भी नहीं है. दरअसल, मकड़ी अपनी शरीर के अंदर से ही यह जाला निकालती है, जिसे स्पाइडर सिल्क कहा जाता है.
रेशम के धागे जैसा दिखने वाला मकड़ी का जाला प्रोटीन से बना होता है. मकड़ियां अपने अंदर मौजूद रेशम ग्रंथियों से इसे बाहर निकालती हैं. एक मकड़ी के अंदर सात तरह की रेशम ग्रंथियां होती हैं.
जब मकड़ी के शरीर से जाला बाहर निकलता है तो यह लिक्विड फॉर्म में होता है, लेकिन हवा के संपर्क में आने के बाद यह एक धागे जैसा बन जाता है.
कई मकड़ियों के जाले तो इतने ज्यादा मजबूत होते हैं कि उसमें कई बड़े पक्षी भी आकर फंस जाते हैं, जिसके बाद मकड़ियां उनका भोजन करती हैं.