ज्यादा से ज्यादा कितने दिन तक की मिल सकती है पैरोल? जान लीजिए जवाब
पैरोल के लिए कोई खास मापदंड तय नहीं किए गए हैं. पैरोस के लिए किसी भी तरह का अपराधी अप्लाई कर सकता है. जिनका केस कोर्ट में चल रहा है उन्हें भी पैरोल मिल सकती है. हालांकि इसमें आखिरी फैसला कोर्ट का होता है.
लेकिन जिन अपराधियों को सजा मिल चुकी होती है. उन अपराधियों को प्रशासन और जेल अध्यक्ष भी पैरोल दे सकते हैं. अगर कोई अपराधी पैरोल के नियम शर्तों का उल्लघंन करते हुए पाया जाता है. तो तुरंत उसकी पैरोल खत्म हो जाती है.
भारत में पैरोल दो तरह की होती है. एक कस्टडी पैरोल और दूसरी रेगुलर पैरोल. कस्टडी पैरोल में जब अपराधी जेल के बाहर आता है. तो वह हर वक्त पुलिस कस्टडी में रहता है. कस्टडी पैरोल अधिकतम 6 घंटे की होती है. यह विशेष परिस्थितियों में ही दी जा सकती है.
रेगुलर पैरोल उन ही अपराधियों को मिलती है. जो कम से कम एक साल की सजा काट चुका होता है. और इसके लिए कैदी का व्यवहार अच्छा होना जरूरी है. अगर उसने पहले जमानत ली है. तो उस दौरान कोई क्राइम न किया हो.
रेगुलर पैरोल ज्यादा समय के लिए होती है. इसमें कैदी को 30 दिन यानी पूरे एक महीने के लिए रिहा किया जाता है. हालांकि रिक्वेस्ट के आधार पर इसे अधिकतम 90 दिन यानी तीन महीनों तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. लेकिन बेहद शेष परिस्थितियों में ही ऐसा होता है.
पैरोल के लिए जेल अधिकारियों को आवेदन देना होता है. अगर इस आवेदन को खारिज कर दिया जाता है. तो ऐसे में अपराधी इसके लिए कोर्ट में अपील कर सकता है. कोर्ट चाहे तो जेल अधिकारियों की रिक्वेस्ट कैंसिल करने बावजूद पैरोल की अनुमति दे सकता है.