Economic Connection With Underwear And Lipstick: अंडरवियर और लिपिस्टिक की ब्रिक्री कम होने से कैसे आ जाता है आर्थिक संकट
अमेरिका के फेडरल रिजर्व के पूर्व प्रमुख एलन ग्रीनस्पैन ने 1970 के दशक में एक अनोखी थ्योरी दी थी, जिसे उन्होंने मेंस अंडरवियर इंडेक्स नाम दिया.
उनका तर्क था कि अंडरवियर ऐसा कपड़ा है, जो दिखता नहीं और जिसकी खरीदारी आमतौर पर जरूरत पड़ने पर ही की जाती है. आर्थिक हालात बिगड़ने पर लोग सबसे पहले इसी पर खर्च रोक देते हैं.
यही वजह है कि अंडरवियर की बिक्री को मंदी आने से पहले का संकेत माना जाने लगा. इसका उदाहरण अमेरिका की 2007–2009 की बड़ी आर्थिक मंदी है.
उस दौर से ठीक पहले अंडरवियर की बिक्री में अचानक गिरावट आ गई थी. जैसे-जैसे आर्थिक हालात बदतर हुए तो यह ट्रेंड और तेज हुआ. बाद में 2010 में जब स्थिति सुधरी तो अंडरवियर की बिक्री भी तेजी से बढ़ गई.
महिलाओं की लिपस्टिक भी मंदी का एक अनोखा पैमाना बन गई. इस विचार को सबसे पहले सौंदर्य उत्पाद कंपनी एस्टी लॉडर के चेयरमैन लियोनार्ड लॉडर ने पेश किया था.
उन्होंने 2000 की मंदी के दौरान देखा कि महिलाओं ने कपड़े, जूते और महंगे फैशन प्रोडक्ट्स की खरीद कम कर दी, लेकिन लिपस्टिक की सेल में जबरदस्त उछाल आ गया.
कई शोधों ने बाद में इस थ्योरी को सही साबित किया कि मंदी के समय महिलाएं खुद को अच्छा महसूस कराने और आकर्षक दिखने के लिए सस्ते विकल्प की तरफ मुड़ जाती हैं. उस दौरान वे महंगे पर्स या कपड़ों की जगह वे लिपस्टिक ज्यादा खरीदना पसंद करती हैं.