कितने डिग्री सेल्सियस पर होने लगती है इंसानों की मौत, दिल्ली के तापमान से कितना ज्यादा?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब शरीर का तापमान बढ़ता है तो शरीर गर्म होने के साथ बुखार आता है. लेकिन यहां नॉर्मल बुखार और गर्मी की वजह से आने वाले बुखार में अंतर करना जरूरी है.
शरीर को ठंडा रखने के लिए बॉडी कूलिंग सिस्टम काम करता है और बाहर की गर्मी बढ़ने के साथ शरीर का तापमान बढ़ने लगता है. तब दिमाग शरीर के टेंप्रेचर को कंट्रोल करने की कोशिश करता है.
इस दौरान शरीर में मौजूद ग्लैंड पसीना निकालना शुरू कर देते हैं. इस वजह से स्किन बाहर के वातावरण में चल रही हवा से खुद को ठंडा रखने की कोशिश करती है. इस वजह से शरीर के अंग भी ठंडे रहते हैं.
जब गर्मी बहुत ज्यादा होती है, तो बाहर का तापमान बहुत बढ़ जाता है और पसीना भी जरूरत से ज्यादा निकलता है. ज्यादा तापमान बढ़ने पर सीधा असर दिमाग पर होता है और यह जानलेवा है.
जब तापमान 40 डिग्री पहुंच जाता है तो पानी की कमी के साथ-साथ डिहाइड्रेशन होने लगता है और कमजोरी आने लगती है. 42-43 डिग्री तक पहुंचते हुए हालत खराब होने लगती है.
अगर शरीर का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक चला जाए तो ऐसी स्थिति में ब्रेन डैमेज हो सकतीा है और कई मामलों में मौत भी हो जाती है.
रिपोर्ट्स की मानें तो इंसानी शरीर बिना किसी परेशानी के 35 से 37 डिग्री तक तापमान को सहन कर सकता है, लेकिन 40 के पार तापमान होने पर परेशानी बढ़ने लगती है. इंसानों के लिए 45 डिग्री से ज्यादा तापमान खतरनाक है.