Alcohol With Chakna: दारू के साथ कब से खाया जा रहा चखना? जान लीजिए इसका भी इतिहास
जब भी कोई शख्स शराब को हाथ लगाता है तो उसके साथ कुछ भी खाने के लिए स्नैक्स जरूर रखता है, जैसे मूंगफली, चने, कबाब, पनीर, फ्राइड पापड़, भुजिया, चिप्स, हरे मटर की नमकीन, तंदूरी चिकन या फिर कुछ और जो लोगों को पसंद हो.
भारत में चखने में भी सांस्कृतिक विविधता देखने को मिलती है. जैसे कई लोग पिज्जा, मोमोज, मंचूरियन, सलाद आदि को भी चखने के रूप में खाते हैं.
शराब पीने के साथ कुछ न कुछ खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. कहा जाता है कि 1938 में अमेरिकी शहर न्यू ऑरलियंस के एक बार में पहली बार कस्टमर्स को फ्री लंच दिया गया. यहां ड्रिंक ऑर्डर करने वाले शख्स को एक प्लेट खाना फ्री में मिलता था.
इसका मकसद शराब पीने वालों को लुभाना था और मुफ्त खाने के लालच में लोग ऐसी दुकानों पर इकट्ठे हो जाते थे. हालांकि पीने के साथ स्नैक्स को खाने का उद्देश्य इसके प्रभाव को कम करने के साथ-साथ स्वाद में बैलेंस लाना था.
चूंकि इसे धीरे-धीरे चखते हुए स्वाद लेकर पीने के साथ खाया जाता है. जैसे-जैसे यह परंपरा बढ़ने लगी तो धीरे-धीरे यह चखना नाम से जाना जाने लगा.
70 और 90 के दशक में उबले अंडे का मुकाबला महाराष्ट्र में मिलने वाली मूंगफली से होने लगा. यह सस्ती होने के साथ-साथ विटामिन बी9 का स्रोत भी थी. यही वजह रही कि मूंगफली को पीने वालों के समाज का बेस्ट चखना बना दिया गया.
आज के समय में पब से लेकर बार तक यह लोगों की पहली पसंद है. आज तो शराब की दुकाने कुकुरमुत्ते की तरह मौजूद हैं और इनके आसपास चखने की दुकान वाले पीने वालों के स्वाद को बढ़ाने का काम कर रहे हैं.