जानिए क्यों पैसेंजर ट्रेनों में नहीं होते 24 से ज्यादा डिब्बे
भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. रोजाना भारत में कुल ढाई करोड़ के लगभग यात्री ट्रेनों में सफर करते हैं. भारत में हर दिन करीब 22,593 ट्रेन चलती हैं. इनमें 14000 के लगभग यात्री ट्रेन होती हैं. जो 7500 के करीब स्टेशनों पर रूकती हैं.
भारतीय रेलवे के कुछ नियम होते हैं. जिनके तहत ट्रेनों में तय संख्या में डिब्बे लगाए जाते हैं. भारत में पैसेंजर ट्रेन में 24 डिब्बे होते हैं. लेकिन क्या आपने सोचा है 24 डिब्बे ही क्यों होते हैं 25 या उससे ज्यादा क्यों नहीं होते?
कहीं ऐसा तो नहीं कि इंजन की क्षमता को देखकर ट्रेनों में डिब्बे लगाए जाते हैं. क्या पैसेंजर ट्रेन की इंजन की क्षमता 24 डिब्बे से ज्यादा नहीं होती? क्या यही वजह है जो पैसेंजर ट्रेनों में 24 डिब्बे होते हैं.बता दें वजह ये नहीं है.
लूप लाइन के चलते पैसेंजर ट्रेन में 24 डिब्बे ही होते हैं. लूप लाइन वह लाइन होती है, जब एक ही ट्रैक पर आमने-सामने दो ट्रेन आ जाएं. तो ऐसे में एक ट्रेन दूसरे ट्रैक पर जाकर सामने वाली ट्रेन को रास्ता देगी. जो ट्रेन दूसरी लाइन पर जाएगी उसे ट्रैक को लूप लाइन कहते हैं.
लूप लाइन की लंबाई 650 से 750 मीटर तक होती है. ऐसे में अगर किसी पैसेंजर ट्रेन को लूप लाइन में आना है तो उसकी लंबाई इतनी ही होनी चाहिए. इससे ज्यादा हुई तो ट्रैन लूप लाइन में नहीं आ पाएगी.
बता दें कि ट्रेन की एक बोगी की लंबाई करीब 25 मीटर होती है. अगर ट्रेन में 24 डिब्बे होते हैं तो उसकी कुल लंबाई 650 मीटर हो जाती है अगर इससे ज्यादा डिब्बे होंगे तो लम्बाई बढ़ जाएगी. फिर ट्रेन का लूप लाइन में खड़े होना मुश्किल हो जाएगा.