पाकिस्तानी एयरस्पेस न मिलने से कितना बढ़ेगा भारतीय फ्लाइट्स का किराया? जानें इसके फायदे और नुकसान
भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े एक्शन लिए हैं, जिसमें वीजा रद्द करने से लेकर सिंधु जल समझौते को निलंबित करना शामिल है. जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने भी भारतीय एयरलाइंस कंपनियों के लिए अपने एयरस्पेस को बंद कर दिया है.
यह प्रतिबंध इंटरनेशनल एयरलाइंस के लिए लागू नहीं किया गया है, यानी इंटरनेशनल एयरलाइंस पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल करते हुए भारत में लैंड हो सकती हैं. हालांकि, पाकिस्तान के इस फैसले ने भारतीय एयरलाइन कंपनियों की टेंशन बढ़ा दी है.
पाकिस्तान के इस प्रतिबंध से सबसे ज्यादा असर नई दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाली फ्लाइटों पर पड़ा है. यहां से पश्चिमी देशों, मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका जाने वाली उड़ानों का किराया बढ़ने के आसार हैं.
दरअसल, पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने से दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ने वाले विमानों को दूसरे हवाई मार्गों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. ज्यादातर विमान अरब सागर, ईरान और अजरबैजान के एयरस्पेस का इस्तेमाल कर रहे हैं.
पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने से न केवल यात्रा का समय बढ़ गया है, बल्कि विमान कंपनियों की लागत भी काफी हद तक बढ़ गई है. दरअसल, लंबे रूट का इस्तेमाल करने से विमानों के ईंधन की खपत बढ़ गई है.
आंकड़ों के अनुसार, एयरलाइन की परिचालन लागत का लगभग 30 फीसदी ईंधन पर खर्च होता है. ऐसे में इन विमान कंपनियों का खर्च बढ़ गया है, इतना ही नहीं लंबे रूट के कारण पायलटों के रोस्टर पर भी फर्क पड़ रहा है, जिसका असर यात्रियों की जेब पर पड़ सकता है.