हिंदू-मुस्लिम के कारण हुआ देश का बंटवारा, फिर 1947 में सिखों का क्यों हुआ कत्लेआम?
1947 में सिखों का कत्लेआम खूब हुआ था, बड़ी संख्या में सिख मारे गए थे और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ था. असल में पंजाब उस वक्त बंटवारे के बीच में फंस गया था.
पंजाब का एक हिस्सा पाकिस्तान में चला गया, दूसरा भारत में रह गया था. पाकिस्तान वाले हिस्से में उस समय बड़ी संख्या में सिख और हिंदू रहते थे, जबकि भारत वाले हिस्से में मुस्लिम आबादी थी.
जैसे ही बंटवारे का ऐलान हुआ तो दोनों तरफ डर और गुस्सा फैल गया था. लोगों को लगा कि अगर वे दूसरे धर्म के इलाके में रह गए तो वे सुरक्षित नहीं रहेंगे.
इसके बाद हिंसा का सिलसिला शुरू हुआ. ट्रेनें लाशों से भरकर आने लगीं, गांवों को जला दिया गया, और लाखों लोग अपने घर छोड़कर भागने को मजबूर हुए.
पाकिस्तान वाले हिस्से में सिखों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया, क्योंकि सिख वहां पर अल्पसंख्यक थे. उस दौरान वहां पर या तो सिखों को मार डाला गया या जबरदस्ती धर्म बदलने के लिए मजबूर किया गया.
उस दौरान सिखों को यह भी कहा गया कि वे भागकर भारत चले आएं. ऐसा ही भारत की तरफ मुस्लिमों के साथ भी हुआ.
दोनों तरफ खून-खराबा हुआ, लेकिन पंजाब में सिख समुदाय पर इसका बहुत गहरा असर हुआ है. यह कत्लेआम बंटवारे की राजनीति, धार्मिक नफरत और बदले की भावना का नतीजा था.