आजादी के बाद कैसे हुआ था सैनिकों का बंटवारा, कितने सैनिक गए पाकिस्तान और कितने भारत को मिले?
16 जून 2024 को पंजाब विभाजन समिति का गठन किया था. इनका काम वित्त, सेना और प्रशासनिक सेवाओं के विभाजन के साथ ही उनके कार्यालय और उपकरणों का बंटवारा कैसे किया जाए, इस बात का हल निकालना था.
14 अगस्त 1947 को पुरानी भारतीय सेना को खत्म करने का आदेश दिया गया था. ऑर्डर पर औचिनलेक और मेजर जनरल रेजिनाल्ड सेवरी ने हस्ताक्षर किए थे. यही आखिरी आदेश ब्रिटिश सेना ने दिया था.
सैनिकों को कहा गया था कि वे अपनी मर्जी से भारत या फिर पाकिस्तान को चुन सकते हैं. इसमें शर्त यह रखी गई थी कि पाकिस्तान का कोई भी मुस्लिम भारतीय राज्य में और भारत का कोई गैर-मुस्लिम पाकिस्तान के सशस्त्र बलों में शामिल नहीं हो सकता है.
ब्रिटेन की नेशनल आर्मी म्यूजियम की रिपोर्ट बताती है कि विभाजन के बाद दो तिहाई जवान भारत को मिले थे और एक तिहाई पाकिस्तान चले गए थे.
इस तरह 2,60,000 जवानों ने भारतीय सेना और करीब 1,40,000 ने पाकिस्तान को चुन लिया था. पाकिस्तान को चुनने वालों में ज्यादातर मुसलमान शामिल थे.
रिपोर्ट की मानें तो 98 फीसदी मुस्लिम सैनिक पाकिस्तान गए थे, वहीं सिर्फ 554 मुस्लिम अधिकारियों ने भारत को चुना था और यहीं पर रहने का फैसला किया था.
विभाजन से भारतीय सेना में करीब 36 फीसदी मुसलमान थे, जो घटकर 2 फीसदी रह गए. सेना के बंटवारे के बाद दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत आई थी वित्त के बंटवारा करने में.