मंगल ग्रह पर अगर रहना शुरू कर दे इंसान तो क्या-क्या आएंगी दिक्कतें, जानिए कैसी दिखेंगी इंसानी कालोनियां
अगर इंसान मंगल ग्रह पर बसना शुरू कर दे, तो सबसे पहले सामान्य जीवन की बुनियादी जरूरतें ही चुनौती बन जाएंगी. सबसे बड़ी दिक्कत वातावरण और ऑक्सीजन की कमी होगी. मंगल का वातावरण लगभग 100 गुना हल्का है और 95% कार्बन डायऑक्साइड से भरा है, इसलिए सांस लेने के लिए पूरी तरह सीलबंद घर और ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम की जरूरत होगी.
दूसरी चुनौती है तापमान और मौसम. मंगल पर दिन के दौरान तापमान शून्य से थोड़ा ऊपर हो सकता है, लेकिन रात में यह -125 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है. इसलिए इंसानी कालोनियों को हीटिंग सिस्टम, थर्मल इंसुलेशन और मजबूत संरचना की जरूरत होगी.
तीसरी बड़ी समस्या होती है रेडिएशन. मंगल पर पृथ्वी जैसी चुंबकीय ताकत नहीं है, इसलिए सूरज और अंतरिक्ष से आने वाली हाई एनर्जी रेडिएशन सीधे मानव शरीर पर पड़ेगी. इसके लिए कालोनियों की दीवारें लेड या खास सामग्री से बनी होनी चाहिए, ताकि रहने वाले सुरक्षित रहें.
पानी की आपूर्ति भी बड़ी चुनौती है. मंगल की सतह पर बर्फ जरूर है, लेकिन उसे पिघलाकर पीने योग्य पानी बनाने की तकनीक चाहिए. इसके लिए बड़े पैमाने पर रिसाइक्लिंग सिस्टम और हाइड्रोजन/ऑक्सीजन आधारित टेक्नोलॉजी लगाए जाने की जरूरत होगी.
खाने-पीने के लिए इंसानों को या तो इंटरनल ग्रीनहाउस में खेती करनी होगी या अंतरिक्ष से सप्लाई लानी होगी. हाइड्रोपोनिक और एयरोपोनिक खेती सिस्टम यहां अहम रोल निभाएंगे. इंसानी कालोनियों का दृश्य कल्पना करें तो ये आमतौर पर गुब्बारे जैसी गोलाकार या आयताकार संरचनाएं हो सकती हैं, जिनके अंदर दबाव, तापमान और हवा नियंत्रित होनी चाहिए. इनका बाहरी भाग मजबूत और रेडिएशन प्रूफ होना चाहिए.
कालोनियों के बीच छोटे सोलर पैनल, हाइड्रोजन ऊर्जा यूनिट और रिसर्च लैब्स लगे होने चाहिए और वहां यातायात रोबोट, रोवर्स और शटल्स के जरिए हो सकता है. सामाजिक जीवन भी अलग होगा. शायद लोग छोटे समूहों में रह सकें और पृथ्वी से कम्युनिकेशन कई मिनट देरी पर होगा. इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के लिए सांस्कृतिक, खेल और मनोरंजन के संसाधन जरूरी होंगे.
मंगल पर रहना फिलहाल तो असंभव है. क्योंकि वहां हवा, तापमान, रेडिएशन, पानी और खाद्य जैसी बुनियादी चीजें मानव जीवन के लिए सबसे बड़ी चुनौतियां हैं.