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अगर कोई ट्रेन 48 या 72 घंटे तक लेट हो जाती है तो वह दूसरे दिन सही टाइम पर कैसे चलती है?

एबीपी लाइव   |  05 Dec 2023 07:09 PM (IST)
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इंडियन रेलवे नेटवर्क पूरी दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. ट्रेन के माध्यम से हर साल लाखों लोग एक जगह से दूसरी जगह यात्रा करते हैं. हालांकि, यात्रा के दौरान कई बार ऐसा होता है कि ट्रेन लेट हो जाती है. या फिर रास्ते में तो ट्रेन लेट चल रही होती है, लेकिन मंजिल पर वह हमें सही समय पर पहुंचा देती है. इसके अलावा वही सेम ट्रेन दूसरे दिन भी अपने गंतव्य स्थान से निर्धारित समय पर ही ले जाती है.

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ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल आना जायज है कि रास्ते में लेट चल रही ट्रेन आखिर मंजिल पर समय से कैसे पहुंच जाती है. इसके लिए ड्राइवर ऐसा क्या करता है. क्या सिर्फ ट्रेन की स्पीड बढ़ा देने से ऐसा होता है, या कुछ और तरकीब लगाई जाती है.

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आपको बता दें, इंडियन रेलवे समय के साथ कई तरह के बदलाव करता रहता है. यही वजह है कि कम दूरी को कवर करने वाली ट्रेनों के समय को कुछ ऐसे निर्धारित किया जाता है कि वह लेट होने पर भी वापसी में अपने गंतव्य स्थान पर सही समय से प्रस्थान कर सकें.

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इसके अलावा लंबी दूरी तय करने वाली ट्रेनों की कई अन्य जोड़ियां भी चलाई जाती हैं, जिन्हें रेक (Rake) कहा जाता है. इनके जरिए भी ट्रेनों को दूसरे दिन गंतव्य स्थान से निर्धारित समय पर ही प्रस्थान कराया जाता है.

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इसे उदाहरण के जरिए समझिए. जैसे लिच्छवी एक्सप्रेस बिहार के सीतामढ़ी से दिल्ली के आनंद विहार के बीच चलती है. यह ट्रेन करीब 1200 किलोमीटर का सफर रोज तय करती है. ट्रेन नंबर 14005 लिच्छवी एक्सप्रेस सीतामढ़ी से रोजाना भोर में 2.30 बजे प्रस्थान करती है और अगली सुबह 4.35 बजे आनंद विहार पहुंच जाती है. जिसके बाद ये ट्रेन वापसी में आनंद विहार से शाम 6 बजे सीतामढ़ी के लिए रवाना होती है.

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अब अगर ये ट्रेन सीतामढ़ी से आनंद विहार आते समय अपने सफर में 10 घंटे भी लेट हो जाए तो भी ये अपने समय पर आनंद विहार से सीतामढ़ी के लिए प्रस्थान कर सकती है. अब यहीं रेक का इस्तेमाल होता है. जैसे- मान लीजिए किसी बड़ी वजह से ये ट्रेन 20 घंटे लेट हो गई तो आनंद विहार में खड़ी लिच्छवी एक्सप्रेस की दूसरी रेक अपने निर्धारित समय पर यात्रियों को लेकर आनंद विहार से सीतामढ़ी के लिए निकल जाएगी.

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