काजू कतली कैसे बनी? मुगलों और मराठों से है कनेक्शन
कहा जाता है कि काजू कतली का आविष्कार 16वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य के शाही परिवार के लिए काम करने वाले एक मशहूर शेफ़ भीमराव ने किया था. भीमराव को एक नई मिठाई बनाने का काम सौंपा गया था जो शाही परिवार को प्रभावित कर दे.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appभीमराव ने पारसी मिठाई हलुआ ए फ़ारसी में प्रयोग के तौर पर बादाम की जगह काजू का इस्तेमाल किया और काजू कतली का आविष्कार हुआ.
एक कहानी यह भी है कि काजू कतली का आविष्कार मुगल काल में हुआ था. इसे सबसे पहले जहांगीर के शासन काल में बनाया गया था. कहा जाता है कि जहांगीर ने काजू कतली को सिख गुरु को सम्मान देने के लिए शाही रसोई में बनवाई थी.
वहीं कुछ लोग कहते हैं कि जहांगीर के शाही बावर्ची ने दिवाली के दिन काजू, शक्कर, और घी से बनी एक मिठाई बनाई थी. इस मौके पर बांटी गई इस मिठाई को देश के अन्य क्षेत्रों में भी जल्दी ही प्रचलित हो गई.
काजू कतली एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है. इसे घर पर बनाना बहुत मुश्किल नहीं है. इसमें भारी मात्रा में शुगर होती है. फिर भी यह गुलाब जामुन या जलेबी से भी बेहतर है क्योंकि वे दोनों सबसे पहले मैदा से बने होते हैं, तले हुए होते हैं और इनमें बहुत अधिक चीनी होती है.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -