कैसे खोजी जाती है सोने की खान, इस तरह से कई देशों की हो जाती है मौज
सोने के दाम सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक लाख के पार पहुंच गए हैं, जिससे आम जनता परेशान है और सोना सस्ता होने का लंबे समय से इंतजार कर रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं जमीन के अंदर सोना है या नहीं, यह बात कैसे पता चलती है?
भारत में सोना महंगा होना बड़ी बात है. दरअसल, सोना यहां सिर्फ आभूषणों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय परंपरा का हिस्सा है और शादियों से लेकर कई विधि-विधानों में सोने का प्रयोग होता है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि जमीन के अंदर सोने का पता कैसे चलता है.
जमीन के अंदर सोने या फिर किसी और धातु का पता लगाने के लिए दो तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. पहली है- ग्राउंट पेनीट्रेटिंग रडार (GPR) और दूसरी वेरी लो फ्रीक्वेंसी टेक्नोलॉजी, जिसे VLF भी कहते हैं.
GPR टेक्नोलॉजी में मिट्टी की परत-दर-परत जांच की जाती है और उसके भौतिक गुणों को देखा जाता है. इसी आधार पर ग्राफ तैयार करके पता लगाया जाता है कि जमीन के नीचे कौन-कौन सी धातु उपलब्ध हैं.
दूसरी टेक्नोलॉजी यानी VLG में जमीन के अंदर सोने या फिर किसी अन्य धातु का पता तरंगों द्वारा लगाया जाता है. इसके लिए जमीन के नीचे तरंगे भेजी जाती हैं, जो किसी धातु से टकराने के बाद उसके चारों ओर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड क्रिएट कर देती हैं. खास मेटल से टकराकर आवाज पैदा होती है, जिससे पता लगाया जाता है कि वह कौन सी धातु है.
भारत में जमीन के नीचे सोना निकालने का सर्वे दो एजेंसियां करती हैं. इसमें पहले एएसआई (ASI)है और दूसरी जीएसआई (GSI), ये दोनों सरकारी एजेंसियां हैं. इस टेक्नोलॉजी से सोने का पता लगाकर कई देशों की मौज हो जाती है.