कैसे होते हैं म्यूल खाते, जिनका साइबर ठगी से कनेक्शन? कैसे होती है इनकी पहचान
दरअसल म्यूल खाते वह बैंक अकाउंट होते हैं जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधी धोखाधड़ी से हासिल पैसों को ट्रांसफर करने के लिए करते हैं. यह अकाउंट आम लोगों के ही होते हैं, लेकिन ठग लालच देकर या धोखे से इनका इस्तेमाल करते हैं जिससे वह पैसे साइबर ठग तक पहुंचने से पहले कई स्टेप से गुजर जाते हैं और साइबर ठग इस धोखाधड़ी से खुद को आसानी से बचा लेते हैं.
म्यूल खाते का इस्तेमाल करने के लिए अपराधी सबसे पहले ठगे गए पैसों को म्यूल खाते में ट्रांसफर करते हैं. वहां से वह रकम को और आगे कई अकाउंट में भेज देते हैं. यह पूरी प्रक्रिया एक चैन की तरह काम करती है जिससे पैसे का ट्रैक रिकॉर्ड मिटाना आसान हो जाता है. साथ ही जांच एजेंसी को असली अपराधी तक पहुंचने में काफी मुश्किल हो जाती है.
म्यूल खाते को लेकर अक्सर साइबर ठग ऐसे लोगों को निशाना बनाते हैं जो तकनीक और बैंकिंग की समझ कम रखते हैं. जैसे बुजुर्ग, गरीब और अनपढ़ लोग, साइबर ठग इन लोगों को लालच देकर या फर्जी पहचान से उनका अकाउंट खुलवा कर इस्तेमाल करते हैं. कई बार लोग खुद भी थोड़े से पैसे के बदले में अपना अकाउंट दूसरों को दे देते हैं.
हालांकि, अब सरकार म्यूल खाते की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भी मदद ले रही है. कुछ समय पहले गृहमंत्री अमित शाह के अनुसार ऐसे संदिग्ध ट्रांजेक्शन, अचानक बढ़ती गतिविधियों और पैसों को विदेश में ट्रांसफर करने वाले खातों के आधार पर एआई तकनीक इन खातों की पहचान करेगी.
कुछ समय पहले तक सरकार ने म्यूल खाते जैसे लगभग 19 लाख से ज्यादा अकाउंट्स की पहचान की थी. इतना ही नहीं करीब 2 करोड़ रुपए से ज्यादा के संदिग्ध ट्रांजेक्शन भी रोके थे. यह आंकड़े बताते हैं कि म्यूल खाते जैसी समस्या कितनी गंभीर हैं और इसे हर दिन आम लोग कितने ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.
म्यूल खाते के माध्यम से साइबर ठगी से बचने के लिए आपको खुद भी प्रयास करने होंगे. इसके लिए अगर कोई अनजान व्यक्ति आपके अकाउंट का इस्तेमाल करने को कहे तो उसे साफ तौर पर आपको मना करना चाहिए. वहीं किसी भी व्यक्ति को अपना आधार पेन या बैंक डिटेल नहीं देनी चाहिए. इसके अलावा किसी लालच में आकर अपना अकाउंट दूसरों के हवाले नहीं करना चाहिए.